वास्तु अनुसार सही दिशा बदल देगी आपकी किस्मत  —

   फेंगशुई मे अंतिम और सबसे शक्तिशाली दिशा क्षेत्र केंद्र को माना जाता है। इसका तत्व पृथ्वी और रंग पीला है। यहाँ  की शक्ति भौतिक, आत्मिक,और भावनात्मक स्वास्थ्य से जु़डी़ है, हलन की हमें आठो दिशा क्षेत्रों की शक्तियों का लाभ मिलता है। यह क्षेत्र जितना खुला होगा उतना ही लाभदायक है।                                             
           वास्तव में फेंगशुई प्राचीन चीनी ज्योतिष और वास्तु का मिला-जुला रूप है। यह वातावरण में मौजूद प्राकृतिक जीवन उर्जा के सिद्धांत पर आधारित है। इसके जरिये आप वातावरण से सकारात्मक उर्जा प्राप्त कर अपने भाग्य में वृध्दि कर सकते हैं। फेंगशुई के माध्यम से निर्माण में बिना किसी तोड़-फोड़ के हम वास्तु दोषों का निवारण कर सकतें हैं। आइये जाने कि फेंगशुई के अनुसार अलग-अलग दिशाओं में उर्जा क्षेत्र की स्थिति क्या होनी चाहिए।
—-उत्तर दिशा—-इसका रंग काला तथा गहरा नीला है। इस दिशा का मूल तत्व पानी है, इस दिशा की उर्जा का संबंध शांति व आराम से होता है, इस हिस्से मे शयनकक्ष बनाया जा सकता है, जहाॅ आप सुख-शांति और अपनी यौन उर्जा का स्वाभाविक प्रवाह बनाये रख सकते हैं। यह दिशा उन लोगों के लिए भी लाभकारी है जो अपनी नौकरी में परिवर्तन और उज्जवल भविष्य बनाना चाहते हैं।
—-उत्तर-पूर्व—-इसका रंग भूरा और तत्व पृथ्वी है, यह दिशा शक्ति प्रोत्साहन व ज्ञान के लिए उपयुक्त है। विद्यार्थी या रोजगार खोजने वालों के लिए यह क्षेत्र काफी लाभदायक होता है। यह क्षेत्र व्यायाम शाला व अपना लक्ष्य तय करने वालों के लिए भी अच्छा है।
—–पूर्व—–इसका रंग हरा व तत्व लकडी़ है, पूर्व क्षेत्र की उर्जा शक्ति ,आशा व संतोष देती है। यह क्षेत्र उनके लिए अच्छा साबित होता है,जो अपने भविष्य को लेकर चितातुर है। यह दिशा रसोईघर,अध्ययनकक्ष बनाने के लिए अच्छा है।
—-दक्षिण-पूर्व—–इसका भी तत्व लकडी़ है,लेकिन रंग जामुनी है। यह दिशा धन,शक्ति और कलात्मक प्रवृति से जुडा़ है। इस क्षेत्र में रसोई घर ,शयनकक्ष व कार्यालन बनाना उत्तम होता है। 
—-दक्षिण——इसका दिशा का तत्व अग्नि है और रंग लाल है। यह दिशा क्षेत्र शक्ति,सफलता व यश बढ़ाने के लिए उत्तम होती है। इस क्षेत्र में भोजन का कमरा व शयनकक्ष बनाया जा सकता है। यह दिशा व्यापारियों के लिए ग्राहकों व आगंतुकों की आवभगत के लिए उत्तम है। अगर आप यश चाहते हैं तो इसी दिशा में अपना शयनकक्ष बनवाएॅं। यह क्षेत्र प्रेम व रोमांस की उर्जा को भी शक्तिशाली बनाता है।
—–दक्षिण-पश्चिम—–इसका तत्व पृथ्वी है तथा रंग गुलाबी है इस दिशा में शक्ति और शांति की उर्जा प्रवाहित होती है जो आपके संबंधो को मजबूत करने मे सहायक होती है। कुवारों के लिए इस दिशा क्षेत्र में शयनकक्ष होना भावनात्मक स्तर पर लाभदायक होता है। परिवार के बीच रिस्तों में मजबूती आती है।
—-पश्चिम दिशा—–इसका तत्व धातु है और रंग सफेद है। यह दिशा प्रेम की उर्जा से सराबोर है। इस दिशा में खाने-पीने व बैठने का कमरा होना परिवारिक रिश्तों को मजबूती प्रदान करता है। इस दिशा में बच्चों व युवाओं का शयनकक्ष भी बना सकते हैं।
—-उत्तर-पश्चिम—–इसका तत्व भी धातु व रंग स्लेटी है। इस दिशा में जिम्मेदारी संगठन और योजनाओं को सफलता प्रदान करने वाली शक्ति का प्रवाह है। यह दिशा क्षेत्र व्यापार व सामाजिक चक्र दोनों को ही प्रभावित करता है।
  –—- वास्तु दोष निवारण के उपाय——
 भारतीय वास्तु चिंतन पर्यावरण और प्रकृति पर आधारित है। मकान या भवन में कहीं भी कोई दोष आ जाने या रह जाने पर भारतीय उपाय करने से दोष निवारण हो जाता है और आप शांति तथा समृध्दि प्राप्त कर सकते है।
—-घर का मुख्यद्वार—–घर के मुख्यद्वार में दोष होने मे कलह ,अशांति ,रोग ,या का कार्य में बाधा आती है। इनसे बचने के लिए मुख्यद्वार को सुसज्जित कर लें ! द्वार के बाहर रंगोली , मांडने बनाए दरवाजे के शिरीष ; तुलसी या श्वेतार्क के पेड़ लगाए…दोनों ओर मांगलिक चिन्ह शुभ-लाभ, रिध्दि-सिध्दि लिखे दरवाजे के उपर गणेश जी स्थापित करें।
—-मार्ग वेध—-घर के सामने ज्या ल्होने पर मार्ग वेध होता है। इससे क्लेश अशांति और दैविय आपदायें आती हैं,इसके लिए भवन के उस भाग की ओर देव के सिंदूर से स्वास्तिक बनाए।
—आकार सुधारें——भवन का कोई कोना कटा या ईशान के अतिरिक्त कोई भी कोना बढ़ा हुआ हो तो उसे ठीक करते हुये मकान चैकोर आयताकार या गोल बना लें यदि ऐसा करना असंभव हो तो कटे हुए कोनों के स्थान पर गमले में तुलसी , मनीप्लांट , बेल ,या अन्य कोई शुभ पौधा लगाएं।

पंडित दयानन्द शास्त्री
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