ज्योतिषियों के अनुसार यदि निर्धारित समय राम मंदिर का भूमि पूजन सकुशल संपन्न हो गया तो अयोध्या विश्व पटल पर छा जाएगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी भी 5 अगस्त …. को राम मंदिर निर्माण के लिए शास्त्र सम्मत शुभ तिथि बताते हैं और कहते हैं कि यदि इस दिन राम मंदिर निर्माण का शुभारंभ विधि-विधान पूर्वक सकुशल संपन्न हो गया तो अयोध्या विश्व पटल पर छा जाएगी।  उन्होंने बताया कि 5 अगस्त दोपहर .. बजकर .5 मिनट का मुहूर्त मंदिर निर्माण के भूमिपूजन के लिए निर्धारित किया गया है।
     ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि 5 अगस्त …. को द्वितीया तिथि है। साथ ही शतभिषा व घनिष्ठा नक्षत्र के साथ अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग बन रहा है। पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि दोपहर .. बजे से ..:5. बजे तक अभिजीत मुहूर्त है। साथ ही भाद्रपद महीने में सिंह राशि में सूर्य रहते हैं जो गृहारंभ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा तुला लग्न, शतभिषा व घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग राम मंदिर निर्माण के लिए इस तिथि को अत्यंत प्रभावकारी बना रहा हैं।
     कृष्ण पक्ष की द्वितीया को शतभिषा नक्षत्र और तुला लग्न दोनों चर लग्न हैं। ..:5. तक अभिजीत मुहूर्त है। अभिजीत मुहूर्त शुभ होता है। दूसरी अच्छाई है कि शोभन योग है। सबसे अच्छी बात है कि इस दिन चंद्रमा स्थिर राशि में है। कुंडली में नवमेश दशम में हैं अर्थात मंदिर निर्माण यदि बहुत ही अच्छे ढंग से हो गया तो अयोध्या विश्व पटल पर छा जाएगी।

इसलिए शुभ है अभिजीत मुहूर्त

     आचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जो बताते हैं कि राम मंदिर निर्माण के लिए अभिजीत मुहूर्त का समय निश्चित किया गया है। यह अत्यंत ही वैभवकारी साबित होगा। कहा कि मान्यता है कि अभिजीत मुहूर्त में यदि कोई शुभ काम शुरू किया जाए तो उसकी सफलता निश्चित होती है। इस मुहूर्त का महत्व इसलिए भी और ज्यादा है क्योंकि इसी मुहूर्त पर भगवान श्री राम का जन्म भी हुआ था। उनके जन्म को इंगित करती मानस की यह चौपाई नवमी तिथि मधुमास पुनीता, शुक्ल पक्ष अभिजित हरिप्रीता….विश्वप्रसिद्ध है।

जानिए 5 अगस्त …. को ही क्यों चुना गया राम मंदिर निर्माण की तारीख ??

     राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त की दोपहर ..:.5 का समय भूमि पूजन के लिए निश्चित किया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के मणिराम छावनी में देर रात तक चली बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम तय हुआ। पीएम दिन के .. बजे से सवा एक बजे तक अयोध्या में रहेंगे। मुहूर्त का समय अत्यंत ही शुभ माना जा रहा है। पूजन के समय अभिजीत मुहूर्त सहित शतभिषा व घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है।
     अभिजीत मुहूर्त में ही भगवान श्रीराम का जन्म भी हुआ था। अब इसी मुहूर्त में उनके मंदिर का निर्माण कार्य भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों प्रारंभ किया जाएगा। पांच अगस्त …. का एक विशेष संयोग यह भी है कि 5 अगस्त …9 को ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद .7. हटाने का फैसला हुआ था।
     बैठक के बारे में जानकारी देते हुए ट्रस्ट के अध्यक्ष की ओर से उनके उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने बताया कि ट्रस्ट के सभी जिम्मेदार लोगों की शनिवार रात साढ़े .. बजे तक हुई बैठक में राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त की दोपहर ..:.5 का समय भूमि पूजन के लिए निश्चित किया गया। इसे पीएमओ से स्वीकृति भी मिल गई है।
     प्रधानमंत्री अयोध्या में सुबह .. बजे से दोपहर सवा एक बजे तक का वक्त देंगे। कोरोना को देखते हुए भूमिपूजन कार्यक्रम में सीमित संख्या में अतिथि शामिल होंगे। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कई प्रदेशों के राज्यपाल समेत शीर्ष संत-धर्माचार्य, मंत्रीगण संघ-विहिप के पदाधिकारी शामिल हो सकते हैं। करीब … ऐसे प्रमुख लोगों को आमंत्रण पत्र भेजने का निर्णय लिया गया है। इसमें काशी समेत कई धर्मस्थलों के पुरोहित एक घंटे तक भूमिपूजन कराएंगे।

भूमि पूजन के लिए चांदी का ईंट रखेंगे मोदी

     ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास ने बताया कि भूमि पूजन भव्य और दिव्य होगा। वे चांदी की ईंट दिखाते हुए कहते हैं कि इसी ईंट को मोदी जी गर्भगृह में रखेंगे। पीएम मोदी का स्वागत करते हुए कहा कि लगभग 4. किलो के चांदी की ईंट से नींव रखी जाएगी और भव्य दिव्य राम मंदिर का निर्माण होगा, सभी संतों की इच्छा थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या आये और मंदिर का निर्माण शुरू करें।
     महंत कमल नयन दास ने बताया कि काशी के पांच विद्वानों के द्वारा विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन कर भूमि पूजन का कार्य संपन्न होगा और ..:.5 पर पीएम नरेंद्र मोदी आधारशिला रखेंगे। जिसके बाद भव्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होगा। बताते हैं कि चांदी की कुल पांच ईंट रखी जाएगी, जो पांच नक्षत्रों की प्रतीक होगी, करीब साढ़े तीन फीट गहरा गड्ढा खोदा जाएगा। विधिविधान से  पाताल लोक के देवता को प्रसन्न करने के लिए पूजा होगी, प्रार्थना होगी कि मंदिर को हजारों साल तक अक्षुण्णता प्रदान करें।

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