जान‍िए राहु के लक्षण और बचने के उपाय को–
ग्रहण लगने के वैज्ञान‍िक तथ्‍य भले ही अलग हों लेकिन पौराण‍िक मान्‍यता है क‍ि ग्रहण राहु के कारण लगता है। यानी क‍ि जब राहु सूर्य या चंद्रमा को ग्रसता है तब ग्रहण लगता है। 
 
ज्योतिष के 9 ग्रहों में राहु को भी एक छाया ग्रह के रूप में माना जाता है। इसे ज्योतिष शास्त्र में दुख का कारक माने जाने के साथ ही अशुभ ग्रह माना गया है। कुंडली में राहु के अशुभ भाव में होने पर तमाम तरह की परेशानियां आती हैं।
सोच‍िए जरा जो देवताओं को भी ग्रस लेता हो वह मनुष्‍यों की कुंडली को क‍िस तरह प्रभाव‍ित करता होगा। आइए जानते हैं पण्डित दयानन्द शास्त्री जी से राहु के लक्षण और इससे बचने के उपायों को —
यदि आने लगे नोकरी में समस्‍याएं तो समझ जाएं –
 
पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार यदि क‍िसी राजकीय या प्राइवेट सेवा में कार्यरत व्‍यक्ति को अचानक ही उच्‍चाधिकार‍ियों के कोप का भाजन बनना पड़े। या फिर अचानक ही कुछ ऐसा हो जाए क‍ि क‍िसी वाद-व‍िवाद के चलते मुकदमेबाजी का श‍िकार बनना पड़े तो समझ लें क‍ि आपकी कुंडली में राहु की दशा चल रही है।
राहू के कारण र‍िश्‍ते में बढ़ सकती हैं दूर‍ियां-
 
पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यदि क‍िसी व्‍यक्ति के जीवन में मानस‍िक परेशान‍ियां बढ़ने लगें। या फिर पिता के साथ संबंधों में तनाव और वाद-व‍िवाद होने लगे तो समझ लें क‍ि राहु की दशा चल रही है। या फिर वैवाहिक जीवन में कटुता हो। परीक्षा और इंटरव्‍यू में बार-बार असफल हो रहे हों तो भी यह राहु की दशा के ही लक्षण हैं।
राहु ग्रह का महत्व को समझें —
वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक पापी ग्रह माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, यात्राएं, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राएं आदि का कारक कहते हैं। जिस व्यक्ति की जन्म पत्रिका में राहु अशुभ स्थान पर बैठा हो, अथवा पीड़ित हो तो यह जातक को इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च होता है और धनु राशि में यह नीच भाव में होता है।
राहु : छाया ग्रह क्यों?
.7 नक्षत्रों में राहु आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु एक छाया ग्रह है जिसका कोई भी भौतिक स्वरूप नहीं है। दरअसल, सूर्य और पृथ्वी के बीच जब चंद्रमा आता है और चंद्रमा का मुख सूर्य की तरफ होता है तो पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया राहु ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है।
जानिए सभी राशियों से राहु का संबंध –
वैदिक ज्योतिष में राहु को एक पापी ग्रह माना गया है। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च होता है और धनु राशि में यह नीच भाव में होता है।
ऐसे समझें राहु काल-
हिन्दू पंचांग के अनुसार, राहु ग्रह के प्रभाव से दिन में एक अशुभ समयावधि होती है जिसमें शुभ कार्यों को करना वर्जित माना गया है। इस अवधि को राहु काल कहते हैं। यह अवधि लगभग डेढ़ घण्टे की होती है और स्थान व तिथि के अनुसार इसमें अंतर देखने को मिलता है।
समझें राहु ग्रह का असर को–
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु ग्रह मजबूत होता है तो जातक को इसके बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता दिलाता है तथा मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। राहु ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ बली होता है।
जबकि इसके विपरीत यदि किसी जातक की कुंडली में राहु की स्थिति कमज़ोर होती है अथवा वह पीड़ित है तो जातक के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है। वहीं राहु अपने शत्रु ग्रहों के साथ कमज़ोर होता है।
जानिए राहु के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव –
 
सकारात्मक प्रभाव – यदि राहु किसी जातक की कुंडली में शुभ हो तो व्यक्ति के मस्तिष्क में शुभ विचार उत्पन्न होते हैं जिससे वह अच्छे कार्यों को अंजाम देता है। यदि किसी जातक की बुद्धि सही दिशा में लगे वह ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकता है। राहु के सकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति बुद्धि से काम लेता है और यदि कोई व्यक्ति अपनी बुद्धि के कार्य करता है तो बड़े से बड़ा पहाड़ हिला सकता है।
नकारात्मक प्रभाव – किसी व्यक्ति की कुंडली में कमज़ोर राहु के कारण उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएं मानसिक और शारीरिक रूप से भी हो सकती हैं। पीड़ित राहु के कारण हिचकी, पागलपन, आंतों की समस्या, अल्सर, गैस्ट्रिक आदि की समस्याएं जन्म लेती हैं।
यदि राहु शत्रु ग्रहों के साथ हो तो आप कितनी भी मेहनत कर लें आपके खर्चे आपकी आमदनी से अधिक ही रहेंगे। यह झूठे आरोप भी लगवाता है। ऐसा जातक आत्महत्या की चरमसीमा तक जा सकता है। जातक मानसिक चिंताओं से घिरा रहता है। झूठ बोलना, दूसरों को धोखा आदि देना राहु को और भी हानिकर बानाता है। किसी भी नए काम की शुरुआत में अशुभ परिणाम मिलते हैं। चोरी, बामारी और झूठे आरोपों के लगने का भय रहता है। यदि यहां राहू के साथ मंगल भी हो तो अच्छे परिणाम मिलते हैं।
 
उपाय:
(.) रसोई में बैठ कर ही भोजन करें।
(.) रात में अच्छी नींद के लिए तकिये के नीचे सौंफ और खांड रखें
समझें राहु के प्रमुख लक्षण को-
 
पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की यदि क‍िसी को पेट का रोग हो जाए और वह सही न हो रहा हो तो यह भी राहु का लक्षण हैं। बार-बार मन में जीवन को खत्‍म करने के व‍िचार आना और द‍िमाग संबंधी परेशान‍ियों का बढ़ना भी राहु की दशा का ही लक्षण है।
जानिए राहु दशा से मुक्ति पाने के उपाय को
 
ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी अनुसार यदि क‍िसी जातक की जन्म कुंडली में राहु की दशा चल रही हो तो इससे राहत पाने के ल‍िए पान, पुष्प, फल, हल्दी, पायस एवं इलाइची के हवन से दुर्गासप्तशती के बारहवें अध्याय के तेरहवें श्लोक–
 ‘ऊं क्लीं सर्व बाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरी।
एवमेव त्वया कार्यमस्म द्वैरिविनाशनम् क्लीं नम:।।’ 
 
मंत्र से संपुटित नवचंडी प्रयोग कराएं।
 
इसके अलावा राहु मंत्र ‘ऊं रां राहवे नम:’ का न‍ियम‍ित रूप से ..8 बार जप करें। 
 
श‍िवलिंग पर विशेष औषधियों से निर्मित “राहूकी तेल” द्वारा अभिषेक करने से भी राहु का प्रभाव जल्‍दी खत्‍म होता है।विशेष औषधियों से निर्मित “राहूकी तेल” हेतु लेखक से सम्पर्क कर सकते हैं।
यह उपाय भी होगा कारगर–
 
ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार अगर राहु की दशा चल रही हो तो राहत पाने के ल‍िए न‍ियम‍ित रूप से ‘ऊं ग्‍लौ हुं क्‍लीं जूं स: ज्‍वालय ज्‍वालय ज्‍वल ज्‍वल प्रज्‍वल प्रज्‍वल, ऐं हीं क्‍लीं चामुण्‍डायै व‍िच्‍चे ज्‍वल हं सं लं क्षं फट् स्‍वाहा’ का भी जप कर सकते हैं। इससे भी राहत म‍िलती है। गुग्‍गुल का धूप देते हुए हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।

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