आइये जाने वास्तु और महिलाओं का सम्बन्ध–


प्रिय पाठकों/मित्रों, हम सभी जानते हैं की किसी भी घर की स्वामिनी गृहणि होती है.. 
उसी को सारा दिन घर पर रहना होता है.. इसलिए घर की हर वस्तु का असर भी उसी पर ज्यादा पडता है और आजकल  हमारे महानगरों में बनने वाले ज्यादातर मकान वास्तु के हिसाब से सही नही बनते या बन नहीं पते हैं..||


आजकल कहीं फ्लोर के हिसाब से अपार्टमेंट बिकते हैं तो कहीं बहुमंजिला मकानों में वास्तु के हिसाब से अनदेखी की जाती है… और इस ज्यादातर अनदेखी का असर सबसे ज्यादा उस घर में रहने वाल गृहणियों पर ही पडता है…


आज के परिपेक्ष्य में ज्यादातर महिलाओं को स्वस्थ (हेल्थ) सम्बंधित प्रोब्लम्स रहती हैं… उस घर का वास्तु दोष वहां  रहने वालों को बीमारी और मानसिक क्लेश दोनो ही देता है…


इसका कारण ये कि वास्तु दोष होने से आपके घर में पॉजिटिव और नेगेटिव उर्जा के बीच में असंतुलन हो जाता है… दर्शकों अब हम आपको इसके कुछ उपाय भी बताते हैं जिससे महिलाओं का घर में जीवन सुखमय और निरोग हो सकेगा….


वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार वास्तुशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो प्राकृतिक तत्वों पर आधारित है. इसमें सृष्टी निर्माण में भागीदार सभी पाँचों तत्वों ( जल, पानी, हवा, धरती और आकाश ) को ध्यान में रखा जाता है और संतुलन बनाने की कोशिश की जाती है। इसलिए जब भी किसी निर्माण की बात होती है तो उसमे वास्तु सिद्धांतों को अवश्य ध्यान में रखा जाता है।।


आजकल हर उम्र की महिलाओं का स्वास्थ्य चार-पांच दशक पहले की महिलाओं की तुलना में ज्यादा खराब रहने लगा है। रहन-सहन, खान-पान इत्यादि हर प्रकार की सावधानियां बरतने के बाद भी महिलाओं में रोग बढ़ते ही जा रहे है।


वास्तु का रोगों से अभिन्न संबंध है। मैंने अपने वास्तु परार्मश के दौरान पाया कि आजकल बनने वाले घरों की बनावट में बहुत ज्यादा वास्तुदोष होते है।


वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार  पिछले कुछ दशकों से आर्किटेक्ट मकानों को सुंदरता प्रदान करने के लिए अनियमित आकार के मकानों को महत्त्व देने लगे है। जिस कारण मकान बनाते समय जाने-अनजाने वास्तु सिद्धांतों की अवहेलना होती रहती है। चाहे महिला हो या पुरूष उनकी हर प्रकार की बीमारी में वास्तुदोष की भी अपनी एक महत्त्व भूमिका अवश्य रहती है।


वास्तुदोष के कारण घर में सकारात्क और नकारात्क ऊर्जा के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है। जो महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके जीवन पर भी प्रभाव डालता है।
हमारे रहन सहन में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। कई बार हम सभी प्रकार की उपलब्धियों के बावजूद अपने रोजमर्रा की सामान्य जीवन शैली में दुखी और खिन्न रहते हैं।


वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार  वास्तु दोष मूलतः हमारे रहन सहन की प्रणाली से उत्पन्न होता है। प्राचीन काल में वास्तु शास्त्री ही मकान की बुनियाद रखने से पहले आमंत्रित किए जाते थे और उनकी सलाह पर ही घर के मुख्य द्वार रसोईघर, शयन कक्ष, अध्ययन शाला और पूजा गृह आदि का निर्णय लिया जाता था।


ज्यादातर महिलाएं ये नहीं जानती कि उनकी बीमारी या फिर परेशानी का उनके घर के वास्तु से कितना गहरा रिश्ता है…


वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री आपको बताएंगे कि वास्तु के हिसाब से अपने घर की चीजों को हो व्यवस्थित करके आप किस तरह से बिना ज्यादा कुछ खर्च किए घर में सुख शांति और समृद्धि ला सकते हैं….


आइये वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री से जानते है ऐसे कौन से मुख्य वास्तु दोष है जो घर में ऊर्जा के असंतुलन पेड़ करते हैं और महिलाओं को परेशान करते  है।


***** यदि किसी घर का आगे का भाग टूटा हुआ, प्लास्टर उखड़ा हुआ या सामने की दीवार में दरार, टूटी फूटी या किसी प्रकार से भी खराब हो रही हो उस घर की मालकिन का स्वास्थ्य खराब रहता है उसे मानसिक अशान्ति रहती है और हमेशा अप्रसन्न उदास रहती हैं।
**** वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार  यदि  किसी घर का नैऋत्य कोण (SW), विशेषतौर पर दक्षिण नैऋत्य (South of the South West) किसी भी प्रकार से नीचा हो या वहां किसी भी प्रकार का भूमिगत पानी का टैंक, कुआ, बोरवेल, सैप्टिक टैंक इत्यादि हो तो वहां रहने वाली महिलाएं सदस्य अक्सर रोगों से पीडि़त रहेगी और उन्हें मृत्यु-भय बना रहेगा।
**** यदि किसी घर में उत्तर (North) और ईशान (North east) ऊँचा हो और बाकी सभी दिशाए व कोण पूर्व (East), आग्नेय (South east), दक्षिण (South), पश्चिम (West), नैऋत्य (South west) और वायव्य (North west) नीचे हो तो घर की स्त्री को लाईलाज बीमारी होती है और असामयिक मृत्यु की संभावना प्रबल हो जाती है।
**** यदि घर में उत्तर, ईशान और पूर्व से नैऋत्य और पश्चिम निचले हो तथा आग्नेय, दक्षिण और वायव्य ऊँचे हो तो जबरदस्त आर्थिक हानि होगी उस घर का मालिक कर्ज से परेशान होगा। उसकी पुत्री व पत्नी लम्बी बीमारियों से पीडि़त होगी।
**** जिस घर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व की दिशा में होता है उन्हें सूर्य से प्रभावित घर कहते हैं। इनमें परिवार का मुखिया पुरुष होता है यानि पितृ सत्तात्मक परिवार इसमें निवास करता है। पुरुषों की संख्या अधिक होती है और महिलाएं कष्ट पाती हैं।
****यदि किसी भवन का उत्तर, ईशान और पूर्व से नैऋत्य, पश्चिम और वायव्य निचले, आग्नेय और दक्षिण ऊँचे होने पर उस घर के मालिक की पत्नी की या तो असामयिक मृत्यु हो जाएगी या वह लम्बी बीमारी से परेशान रहेगी। ऐसे बने घर में हमेशा बीमारी, कलह, शत्रुता बनी रहती है।
***** वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार  यदि किसी घर का आग्नेय नीचा हो, और आग्नेय और पूर्व के बीच में या आग्नेय और दक्षिण के बीच में कुओं, पानी का टैंक, सैप्टिक टैंक, बोरवेल या मोरियां बनायी जाएं तो घर के सदस्यों को दीर्घकालिन व्याधियां होंगी विशेषतौर पर घर के मालिक की पत्नी दीर्घ व्याधि से पीडि़त होगी।
*** यदि किसी घर का ईशान कोण, उत्तर ईशान दिशा की लम्बाई घटे और उत्तरी हद तक निर्माण किया गया हो तो घर की मालकिन रोग से ग्रस्त होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाएगी अथवा आर्थिक कठिनाईयों से परेशान होकर कठिन जीवन व्यतीत करेगी।
**** यदि किसी घर के दक्षिण नैऋत्य भाग में (South of the South West) मार्ग प्रहार हो तो स्त्रियां उन्माद या अवसाद जैसे रोगों की शिकार होंगी। कहीं कहीं वे खुदकुशी भी कर सकती है।
**** वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार  यदि किसी घर का दक्षिण नैऋत्य मार्गप्रहार से प्रभावित हो तो उस घर की महिलाएं भयंकर रोगों से परेशान होंगी। इसके साथ नैऋत्य में कुआं, बोरवेल, भूमिगत पानी की टंकी अर्थात् किसी भी प्रकार से नीचा हो तो वे आत्महत्या कर सकती है या लम्बी बीमारी से उनकी मृत्यु हो सकती है।
*****यदि किसी घर का दक्षिण नैऋत्य कोण बढ़ा हुआ हो उस घर की स्त्रियों को लम्बी बीमारियों या उनकी दर्दनाक मौत की संभावना बनती है।
****यदि किसी घर में उत्तर वायव्य में मार्ग प्रहार हो तो उस घर की स्त्रियां बीमार रहेगी। उत्तर वायव्य मार्ग प्रहार हो तो स्त्रियां न केवल बीमार होंगी, बल्कि घर वाले अनेक प्रकार के व्यसनों के शिकार होंगे।
****यदि किसी घर में पूर्व दिशा में मुखद्वार हो और उत्तर दिशा की हद तक निर्माण किया हो, दक्षिण में खाली स्थल हो तथा नैऋत्य अगे्रत हो, तो उस घर की स्त्रियां दुर्घटनाग्रस्त होंगी।
****यदि किसी घर के दक्षिण में घर का मुख्यद्वार हो और ईशान कोण तक भवन निर्माण किया गया हो दक्षिण दिशा खुली हो और वहां ढलाऊ बरामदा बनाया जाये तो ऐसे घर की मालकिन लाइलाज बीमारी से परेशान रहेगी। उस घर के बच्चे भी गलत रास्तों पर चलेंगे।
**** गर्भवती स्त्रियों को दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थित कमरे का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसी अवस्था में पूर्वोत्तर दिशा या ईशान कोण में बेडरूम नहीं रखना चाहिए। इसके कारण गर्भाशय संबंधी समस्याएं
******  वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार  किसी भी घर की रसोई में गृहणी को अपने कुकिंग रेंज अथवा गैस स्टोव को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि खाना बनाते वक्त आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। 
यदि खाना बनाते समय गृहिणी का मुख उत्तर दिशा में हो तो वह सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस एवं थायरॉइड से प्रभावित हो सकती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन बनाने से बचें। गृहिणी के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पडता है। इसी तरह पश्चिम दिशा में मुख करके खाना बनाने से आंख, नाक, कान एवं गले से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
****यदि किसी घर की रसोई नॉर्थ-ईस्ट यानी उत्तर-पूर्व में होगी, तो वहां भी सास-बहू के आपसी क्लेश, मनमुटाव और हमेशा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रहेंगी। किचन कभी भी घर के सेंटर में ना हो, यह आपसी संबंधों के लिए बेहद घातक है।
**** ध्यान रखें,किसी भी घर के दक्षिण दिशा में अहाते का होना या खुला होना या सभी कमरों व बरामदों में दक्षिण का भाग नीचा हो तो उस घर की स्त्रियां सदैव रोगी रहती है, ऐसे घरों में अकाल मृत्यु की संभावना रहती है। परिवार में आर्थिक कष्ट रहता है।
****यदि किसी घर के आंगन से पानी दक्षिण दिशा या नैऋत्य कोण की ओर से बाहर बह जाता तो उस घर की स्त्रियों के स्वास्थ्य के लिए शुभ नहीं होता है।
*****किसी भी घर में गृहणी यह ध्यान रखें कि रात को सोते हुए बेड के बिलकुल पास मोबाइल, स्टेवलाइजर, कंप्यूटर या टीवी आदि न हो। अन्यथा इनसे निकलने वाली विद्युत-चुंबकीय तरंगें मस्तिष्क, रक्त एवं हृदय संबंधी रोगों का कारण बन सकती हैं।।
***** वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार  किसी भी गृहणी को अपने रसोईघर में में कभी भी मार्बल (संगमरमर) का फ्लोर या प्लेटफार्म नहीं बनवाना चाहिए और न ही मीरर जैसी कोई चीज होनी चाहिए, क्योंकि इससे स्वास्थ पर विपरित प्रभाव पड़ता है और घर में कलह की स्थिति बढ़ती है।
**** ध्यान रखे की आपके रसोई घर में गैस के ऊपर बने कैबिनेट काले ना हों। काले रंग से निकलनेवाली अल्फा रेडिएशन हेल्थ के लिए अच्छी नहीं होंती और चूंकि महिलाओं का ही अधिकतम समय किचन में बीतता है, इसलिए सबसे ज्यादा असर इन्हीं के स्वास्थ पर पडता है।
***** विशेष सावधानी रखें की अपनी रसोई में भूलकर भी नीला रंग ना कराएं यह स्वास्थ्य की नजर से ठीक नहीं है, क्योंकि नीला रंग जहर का चिह्न है।
****** वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार  आजकल मोबाईल रखना एक फैशन और जरुरत बन गया हैं किन्तु अपने मोबाइल को किचन में ना रखें, क्योंकि मोबाइल फोन में हजारों जर्म्स होते हैं, जो सेहत बिगाड़ सकते हैं।
****ध्यान रखें, कुछ घर इस तरह बने होते हैं की वहां रहने वाली महिलाएं अपने पति के लिए भाग्यशाली लक्ष्मी रूप होती हैं और उनके व्यवसाय में दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की होती जाती है। जिन घरों में स्टोर रूम का रास्ता बेडरूम से होकर जाता है। उस कमरे में सोने वाली महिलाएं भाग्यशाली होती है व अपने पति की तरक्की में सहायक होती है।


***** ध्यान रखें, पूर्व, दक्षिण-पूर्व और दक्षिण दिशाएं हरे रंग के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। इसलिए बच्चों के कमरे और बैडरूम में ग्रीन कलर का यूज करने से अच्छी नींद आती है। इतना ही नहीं, ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है। साथ ही माइन्ड से सम्बन्धित बीमारियों से भी राहत मिलती है।यदि आप डिपे्रशन के शिकार हो रही हैं तो हरा रंग आपको इस समस्या से निजात दिला सकता है। दरअसल हरे रंग में से पॉजिटिव एनर्जीं निकलती है, जिससे दिमाग को रिलैक्स फील करता है। हरा रंग लकडी तत्व का प्रतीक है। इसलिए ऑफिस और घर में ज्यादा से ज्यादा लकडी के इंटीरियर प्रोडक्ट का यूज करना चाहिए। इससे घर वातावरण भी काफी कूल रहता है।


वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार उपरोक्त वास्तुदोषों को किसी योग्य एवम् अनुभवी वस्तिविद् की सलाह द्वारा दूर कर महिलाओं को होने वाले रोगों से बचा जा सकता है।


ध्यान रहे वास्तुशास्त्र एक विज्ञान है। वास्तुदोष होने पर उनका निराकरण केवल वैज्ञानिक तरीके से ही करना चाहिए और उसका एकमात्र तरीका घर की बनावट में वास्तुनुकुल परिवर्तन कर वास्तुदोषों को दूर किया जा सकता हैं।।

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