संजय दत्त का जन्म .9 जुलाई .959 को दोपहर ..45 बजे मुंबई में हुआ था। उनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ जिसमें चंद्र के उच्च के होने के कारण उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में ख्याति अर्जित की।  इनके माता-पिता सुनील दत्त और नर्गिस भी हिंदी सिनेमा के जबरदस्त कलाकार थे। संजय दत्त ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत .98. से की। उनकी पहली फिल्म रॉकी थी और इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा की कई बड़ी फिल्मों में काम किया और अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया। संजय दत्त अब तक .8. से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम कर चुके हैं। उनकी सबसे चर्चित फिल्मों में वास्तव, मुन्ना भाई एमबीबीएस शामिल हैं। उनके जीवन में कई तरह के रंग है और इसलिए उनके जीवन पर आधारित एक फिल्म (संजू) का निर्माण भी हो चुका है।
यदि संजयदत्त की कुंडली पर दृष्टि डाली जाये तो लग्न (शरीर) का स्वामी मंगल 9 अंश का मजबूत होकर दशम भाव में बैठा है। इस कारण उनका शरीर हृष्ट-पुष्ट रहेगा। पर सप्तम भाव में चंद्र उच्च का होकर मात्र . अंश का और कमजोर होने के कारण वे भावुक हृदय के रहेंगे। संजय दत्त का जन्म वृश्चिक लग्न में हुआ है। उनका लग्न उन्हें अदम्य साहस प्रदान कर रहा है। जन्म के ग्रहों में चंद्र मात्र . अंश और बुध तथा महादंडनायक शनि वक्री हैं। जन्म के वक्री ग्रह या गोचर के वक्री ग्रह या उनकी दशा, अंतर्दशा अथवा प्रत्यंतर्दशा आ जाए तो भी जातक को महाकष्ट एवं बंधन योग प्राप्त होता है। यह सूत्र पराशर होरा शास्त्र में वर्णित है और अनुभूत है।

ग्रहों की स्थिति

संजू बाबा की कुंडली का लग्न वृश्चिक राशि का है जिसका स्वामी ग्रह मंगल कर्म भाव में विराजमान है, मंगल षष्ठम भाव का भी स्वामी है। द्वितीय भाव में शनि देव धनु राशि में विराजमान हैं और द्वितीय भाव और पंचम भाव का स्वामी गुरु द्वादश भाव में विराजमान है। तृतीय और चतुर्थ भाव का स्वामी शनि द्वितीय भाव में स्थित है। सातवें और बारहवें भाव का स्वामी ग्रह शुक्र कर्म भाव में मंगल के साथ युति बना रहा है। अष्टम और एकादश भाव का स्वामी बुध नवम भाव में विराजमान है। नवम भाव का स्वामी चंद्रमा विवाह भाव में है। और कर्म भाव का स्वामी सूर्य नवम भाव में विराजमान है। राहु-केतु की स्थिति एकादश और पंचम भाव में हे। यह तो हई ग्रहों की स्थिति, आईए अब जानते हैं कुंडली से संजय दत्त के जीवन के बारे में क्या पता चलता है।

लग्नेश की शुक्र के साथ युति

मंगल को नेतृत्व और पराक्रम का ग्रह माना जाता है वहीं शुक्र आकर्षण और सौंदर्य का कारक माना जाता है। इन दोनों ग्रहों की युति ने संजय दत्त को एक आकर्षक व्यक्तित्व दिया। उनके व्यक्तित्व ने नजाने कितनी कन्याओं को आकर्षित किया। इसके साथ ही मंगल ने उनको कला के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। मंगल ने उनको पर्दे पर एक सशक्त व्यक्तित्व प्रदान किया जो आज तक भी बरकरार है।

शुक्र की विशेष भूमिका 

जैसा कि हम बता चुके हैं शुक्र सौंदर्य, आकर्षण का कारक होता है इसलिए यह गुण तो संजय दत्त में थे ही लेकिन शुक्र संजू बाबा की कुंडली में दशम भाव में विराजमान है इसका भी उनके जीवन पर असर दिखता है। नवम और दशम भाव से पितृ सुख के बारे में जानकारी मिलती है। इस भाव से पता चलता है कि आपके पिता किस क्षेत्र में होंगे या उनका व्यवसाय क्या होगा और आपके जीवन पर उनका क्या असर होगा। शुक्र के पितृ भाव में होने से साफ पता चलता है कि इनके पिता ने कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने में संजू की बहुत मदद की। यही नहीं जब संजय दत्त नशे की लत से परेशान थे तब भी सुनील दत्त ने उनका हौसला बढ़ाया।
हालांकि कर्म भाव में शुक्र मंगल के होने से विवाह और प्रेम जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। संजय दत्त को भी प्रेम संबंधों में कई उतार चढ़ाव देखने पड़े।

गुरु की शुक्र की राशि में स्थिति

देव गुरू बृहस्पति को कुंडली में बहुत अहम माना जाता है। संजय दत्त की कुंडली में गुरु की स्थिति अच्छी नहीं है गुरु अपने शत्रु शक्र की राशि में विराजमान हैं और इसके साथ ही द्वादश भाव में है। यह ग्रह स्थिति बंधन योग का निर्माण कर रही है। इस ग्रह स्थिति ने संजू बाबा को जीवन में कई बार विपरीत परिस्थितियों में डाला है। गलत संगति में पड़कर उन्हें नशे की लत भी लगी।

चंद्रमा की कमजोर स्थिति

संजय दत्त की कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में है। चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है यह व्यक्ति की भावनाओं को नियंत्रित करता है। लेकिन संजय की कुंडली में यह कमजोर है इसलिए भवानात्मक रूप से संजय दत्त कमजोर रहे होंगे। भावनाओं में बहकर उन्होंने अपना नुकसान किया। कमजोर चंद्रमा व्यक्ति को गलत संगति में पड़े से बचा नहीं पाता।

माता के भाव पर शनि दृष्टि

शनि तृतीय दृष्टि से माता के भाव को देख रहा है। यह दर्शाता है कि माता के साथ उनके संबंध अच्छे तो थे लेकिन उनकी वजह से माता को परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। शनि की दृष्टि ही माता की असमय मृत्यु का कारण हो सकती है।

गुरु की दशा का सकारात्मक प्रभाव 

.998 के बाद जब संजू बाबा की गुरू की दशा शुरु हुई जो …4 तक चली। इस दौरान उनके जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आए। उन्होंने बुरी संगति और नशे से दूरी बनाना शुरु किया। यह वो समय था जब संजू बाबा अपनी अंदुरूनी ताकत को पहचानने की कोशिश की और कई अच्छे प्रॉजेक्ट पर काम किया। संजय दत्त को वक्री ग्रहों ने व्यूह में फंास रखा है उस व्यूह से मुक्ति पाने के लिए विशेष पूजा अनुष्ठान की आवश्यकता है, तभी लाभ हो सकता है।

वर्तमान महादशा ओर केंसर का कारण

  • वर्तमान की शनि की महादशा के अनुसार जोकि …. से …. तक उनके जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट व समस्यां पैदा करेगी क्योकि शनि की खराबी इनके जीवन में …. तक रहेगी जिसमे इनको सेहत और सरकारी क्षेत्र से समस्यां का सामना करना पड़ सकता है तथा आने वाला समय इनके लिए नसों व मानसिक परेशानियों का रहेगा तथा …9 से …. तक वह अपने स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओ से परेशान रहेंगे।
  • संजय दत्त का जन्म वृश्चिक लग्न में हुआ है। यह लग्न उन्हें अदम्य साहस प्रदान करता है। वहीं, जन्म के ग्रहों में चंद्र मात्र . अंश का और बुध तथा महादंडनायक शनि वक्री हैं।
  • संजय की नवांश कुंडली में सूर्य भी नीच राशि है और वो दशम भाव को देख रहा है। यही वजह है कि उनके कर्म क्षेत्र यानी अभिनय की दुनिया में भी उतार-चढ़ाव लगातार आ रहे हैं। संजय दत्त का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है। चंद्र के उच्च के होने के कारण उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में प्रसिद्धी हासिल की है।
  • वर्तमान शनि की विंशोत्तरी महादशा के अनुसार जो कि .9 जून …4 से .9 जून …. तक उनके जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट व समस्यां पैदा करेगी क्योकि शनि की खराबी इनके जीवन में …. तक रहेगी जिसमे इनको सेहत और सरकारी क्षेत्र से समस्यां का सामना करना पड़ सकता है तथा आने वाला समय इनके लिए नसों व मानसिक परेशानियों से पीड़ित रहेगा।
  • विगत .. मार्च …. तक केतु की अंतर्दशा रहेगी।
  • वर्तमान में शनि की विंशोत्तरी दशा में केतु की अंतर्दशा चल रही हैं। इस समय शनि में केतु, केतु में राहु की प्रत्यन्तर दशा चल रही हैं 7 अक्टूबर …. तक।
  • अगले वर्ष .. मार्च …. के पश्चात शनि के साथ अंतरदशा में शुक्र विराजमान हो जाने से, वह समय इनके लिए अनुकूल साबित हो सकता है।
  • उसके बाद .. मार्च …. से .. मई …4 शुक्र की अंतर्दशा रहेगी। तब तक संजय दत्त पूरी तरह चैन की सांस नहीं ले सकेंगे।
  • हमारी संजय दत्त को सलाह है कि अपने गुस्से पर काबू रखें। शनि के लिए काली चीजों का दान और शनि की प्रतिमा पर तेल अभिषेक करने से पीड़ा कुछ कम हो सकती है।

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