आईए जाने नागपंचमी …6  पर कैसे करें  कालसर्प योग/कालसर्प दोष पूजन—


प्रिय पाठकों/मित्रों, श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन ‘नागपंचमी का पर्व’ परंपरागत श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस दिन नागों का पूजन किया जाता है। इस दिन नाग दर्शन का विशेष महत्व है। इस वर्ष  .7 अगस्त …6  (रविवार) को नागपंचमी मनाई जाएगी ||


इस दिन सांप मारना मना है। पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी  .7 अगस्त …6  (रविवार) को धरती खोदना निषिद्ध है। इस दिन व्रत करके सांपों को खीर खिलाई व दूध पिलाया जाता है जबकि यह गलत है। कहीं-कहीं सावन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी नागपंचमी मनाई जाती है। 


प्रत्येक वर्ष  शुक्ल श्रावण पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता  है। इस दिन नाग देवता का पूजन होता है। इस दिन काष्ठ पर एक कपड़ा बिछाकर उसपर रस्सी की गांठ लगाकर सर्प का प्रतीक रूप बनाकर, उसे काले रंग से रंग दिया जाता है। कच्चा दूध, घृत और शर्करा तथा धान का लावा इत्यादि अर्पित किया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस दिन दीवारों पर गोबर से सर्पाकार आकृति का निर्माण कर सविधि पूजन किया जाता है। प्रत्येक तिथि के स्वामी देवता हैं। पंचमी तिथि के स्वामी देवता सर्प हैं। इसलिए यह कालसर्पयोग की शांति का उत्तम दिन है।
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इस वर्ष कालसर्प दोष/कालसर्प योग शांति महायज्ञ .7 अगस्त …6  (रविवार) को नागपंचमी तक विश्व प्रसिद्द सिद्धवट ,उज्जैन (मध्यप्रदेश) में संपन्न होगा !



(कालसर्प दोष, पितृ दोष, विष दोष, ग्रहण दोष आदि का सम्पूर्ण उपचार)


प्रिय पाठकों/मित्रों,


हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आप अपने जीवन को सुख समृद्ध बनाने के लिए इस महायज्ञ में अवश्य भाग ले और अपने सगे-सम्बन्धियों, मित्रों को भी इस महायज्ञ में भाग लेने के लिए प्रेरित करें जो भी इन दोषों से पीडि़त है ताकि आप की वजह से किसी का जीवन खुशहाल हो सके जिससे आप को दुआऐं मिले।


इस महायज्ञ में विद्वान ब्राह्मणों द्वारा निचे लिखी सभी पूजा करवाकर सभी दोषों का निवारण किया जाता है :-


गणेश अम्बिका पूजन   . नवग्रह शांति पूजा  . प्रेत मुक्ति पूजन 4 सभी क्षेत्रपालों यानि कि 49 प्रकार के खेड़ों का पूजन  5- 64योगनियो और शीतला माता, मदानन आदि सहित .6 माताओं का पूजन6 – भगवान शिव का रुद्राभिषेक  7 – पितरों की शांति हेतु त्रिपिंडी श्राद्ध   8- सर्पों की देवी माँ मनसा का पूजन  9 – सर्प शाप, संतान दोष आदि का पूजन  ..  सम्पूर्ण दोष मुक्ति हवन।


अधिक जानकारी या इस कालसर्प दोष/कालसर्प योग निवारण महायज्ञ में भाग लेने हेतु शीघ्र संपर्क करें/पंजीयन करवाएं—
पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री–.9..9.9..67  या .9669.9..67 ….
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===जानिए नागपंचमी क्यों हैं कालसर्प जनित अनिष्ट की शांति का उत्तम दिन—-
इस तिथि को चंद्रमा की राशि कन्या होती है और राहु का स्वगृह कन्या राशि है। राहु के लिए प्रशस्त तिथि, नक्षत्र एव स्वगृही राशि के कारण नागपंचमी सर्पजन्य दोषों की शांति के लिए उत्तम दिन माना जाता है। कालसर्प योग की शांति विधियां अधिकांशत: नागपूजा एव श्राद्ध बलि पर आधारित हैं। पंचमी तिथि को भगवान आशुतोष भी सुस्थानगत होते हैं। इसलिए इस दिन सर्प शांति के अंतर्गत राहु-केतु का जप, दान, हवन आदि उपयुक्त होता है। इसके अतिरिक्त अन्य दुर्योगों के लिए भगवान शिव का अभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र का जप, यज्ञ, शिव सहस्रनाम का पाठ, गाय और बकरे के दान का भी विधान है। 
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जानिए क्यों मनाते हैं नागपंचमी?
धर्मग्रंथों के अनुसार नागपंचमी के दिन नाग अर्थात सर्प के दर्शन व उसके पूजन का विशेष फल मिलता है। जो भी व्यक्ति नागपंचमी के दिन नाग की पूजा करता है उसे कभी भी नाग अर्थात सांप का भय नहीं होता और न ही उसके परिवार में किसी को नागों द्वारा काटे जाने का भय सताता है। नागपंचमी का पर्व मनाए जाने के पीछे जो कथा प्रचलित है वह संक्षेप में इस प्रकार है। एक किसान जब अपने खेतों में हल चला रहा था उस समय उसके हल से कुचल कर एक नागिन के बच्चे मर गए। अपने बच्चों को मरा देखकर क्रोधित नागिन ने किसान, उसकी पत्नी और लड़कों को डस लिया। जब वह किसान की कन्या को डसने गई तब उसने देखा किसान की कन्या दूध का कटोरा रखकर नागपंचमी का व्रत कर रही है। यह देख नागिन प्रसन्न हो गई। उसने कन्या से वर मांगने को कहा। किसान कन्या ने अपने माता-पिता और भाइयों को जीवित करने का वर मांगा। नागिन ने प्रसन्न होकर किसान परिवार को जीवित कर दिया। और तभी से यह परम्परा चली आ रही है कि श्रावण शुक्ल पंचमी को नागदेवता का पूजन करने से किसी प्रकार का कष्ट और भय नहीं रहता।
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===जानिए क्यों इसी दिन नाग देवता की होती है विशिष्ट पूजा? 
श्रावण के महीने में सूर्य कर्क राशिगत मित्रगृही होता है। इस महीने का संबंध भगवान शिव से है और शिव का आभूषण सर्प देवता हैं। अत: इस तिथि पर सर्प (नाग) पूजन से नागों के साथ ही भगवान आशुतोष की भी असीम कृपा प्राप्त होती है। पुराणों में नागलोक की राजधानी के रूप में भोगवतीपुरी विख्यात संस्कृत कथा साहित्य में विशेष रूप से (कथासरित्सागर) नागलोक व वहां के निवासियों की कथाओं से ओतप्रोत है। गरुण पुराण, भविष्य पुराण, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, भावप्रकाश आदि ग्रंथों में नाग संबंधी विविध विषयों का उल्लेख मिलता है। पुराणों में यक्ष, किन्नर और गंधर्वों के साथ नागों का भी वर्णन मिलता है। भगवान विष्णु की शैय्या की शोभा नागराज शेष बढ़ाते हैं। 
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===जानिए यह नागपंचमी विशिष्ट क्यों है?
इस बार की नागपंचमी अपने आपमें बहुत विशिष्ट है। उसका मुख्य कारण यह है कि आजकल ज्योतिष जगत में जिस कालसर्प दोष को लेकर बडी-बडी चर्चाएं हो रही हैं वही दोष ग्रहों के मध्य इस विशेष तिथि के दिन निर्मित हो रहा है। सबसे मजेदार बात यह है कि इस तिथि को कालसर्प दोष निवारण करने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यानी दोष निवारण करने वाली तिथि के दिन दोष का निर्माण होना एक दुर्लभ योग है। वैसे तो यह योग कुछ सालों के अंतराल में बन जाता है लेकिन राहू, केतू के लिए नीच कही जाने वाली राशियों क्रमश: वृश्चिक और बृष राशि में नाग पंचमी के साथ-साथ सोमवार के दिन इस योग का होना बहुत ही दुर्लभ और खास है। ऐसे कालसर्प योग के बनने की शुरुआत शनिवार के दिन से होना इसे और खास बना देता है। अर्थात कालसर्प योग, नीच राशि के राहू-केतू और सोमवार का दिन होने के कारण इस बार की नाग पंचमी का दिन बहुत ही विशिष्ट फलदायी रहेगा।


===जानिए क्या होगा इस नाग पंचमी का देश दुनिया पर असर ??
इस कालसर्प दोष के कारण देश-दुनिया में कई बड़े बदलाव हो सकते हैं। राहु-केतु परेशानियां और दुर्घटनाओं के कारक होते हैं। अत: कुछ बदलाव सकारात्मक भी हो सकते हैं लेकिन अधिकांश बदलाव आम जनता को असंतुष्ट करने वाले वाले हो सकते हैं। कोई प्राकृतिक आपदा भी आ सकती है। भूकंप और बारिश की असामान्य स्थिति बनेगी। यदि भारत की बात की जात तो इसकी कुण्डली में ही कालसर्प योग बना हुआ है लेकिन यह इसके ठीक विपरीत है। यानी वह राहू-केतू की उच्च राशियों है जबकि जिसकी चर्चा हम कर रहे हैं वह नीच राशियों में है। अत: भारत के पडोसी देशों से सम्बंध बिगड सकते हैं। कोई बडी दुर्घटना, उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में तेज बारिश, कहीं कहीं सूखा, धार्मिक पतन, राजनैतिक उठा-पठक, शेयर-बाजार कमजोर लेकिन तकनीकी क्षेत्र में विकास आदि घटनाएं हो सकती हैं।
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===कैसे मनाए नाग पंचमी ??


—इस दिन नागदेव के दर्शन जरूर करें।
—बांबी (नागदेव का निवास स्थान) की पूजा करनी चाहिए।
—-नागदेव को दूध नहीं पिलाना चाहिए। उन पर दूध चढ़ा सकते हैं।
—नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेव को सुगंध प्रिय है।
—इस मंत्र “ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा” का जाप करने से सर्प दोष दूर होने की सम्भावना होती  है।
—इस दिन घरों में तवे पर रोटी नहीं बनाई जाती है, कहते है कि तवा नाग के फन का प्रतिरूप होने से हिन्दू धर्म में तवे को अग्नि पर रखना वर्जित है। इस दिन दाल-बाटी-चूरमे के लड्डू बना कर नाग देवता का पूजन किया जाता है। 
—ध्यान रहे कि नाग पूजन करते वक्त नाग को दूध नहीं पिलाना चाहिए, क्योंकि नाग कभी भी तरल पदार्थ सेवन नहीं करता यदि भुलवश चला भी जाए तो वह उसके लिए प्राणघातक होता है। जिस प्रकार हमारे फेफड़ों में पानी या कोई भी वस्तु चली जाए तो हमारे प्राण संकट में पड़ जाते है, ठीक उसी प्रकार नाग पर भी प्रभाव होता है। 
—इसके लिए हमें अपने घर में ही शुद्ध घी से दीवार पर नाग बनाना चाहिए एवं फिर उनका विधि-विधान से पूजना करना चाहिए। इस प्रकार करने से नाग देवता प्रसन्न होने के साथ-साथ शुभ प्रभाव देते हैं व नाग दंश का भय भी नहीं रहता हैं। 
—-नागपंचमी पर अधिकांश परिवार वाले काले रंग या कोयले से नाग बनाते है एवं फिर पूजन करते है, लेकिन काला अशुभ होता है। अतः घी के ही नाग बनाकर पूजन करना चाहिए। 
—कालसर्प योग वाले व्यक्ति इस दिन विधि-विधान से उज्जैन सिद्धवट पर या फिर त्र्यंबकेश्वर जाकर पूजन करवाने से अशुभ प्रभाव खत्म होकर शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है। 


हां, एक बात का अवश्य ध्यान रखें की कभी भी नाग आकृति वाली अंगूठी कदापि ना पहनें व जिसे भी इस प्रकार का दोष है वे गोमेद भी ना धारण करें। 


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जानिए आप किस दोष से हैं पीडि़त और क्या हैं इन दोषों के लक्षण ???


स्वप्न में सर्प दिखाई देना, नींद से घबराकर उठना और भय से काम्पने लगना, नजऱ टोना टोटका होना, कार्य व्यापार नोकरी में मन न लगना, लडक़े-लडक़ी का विवाह समय पर न होना, मेहनत का फल न मिलना, सर्प को मारना व् मरते देखना, आपके वाहन के आगे गाय,बछड़ा,बिल्ली का दुर्घटना होना, सपने में झोटा,बैल, हाथी, कुत्ता, बिल्ली या सर्प का आप पर झपटते दिखना। 
कोए गीध ऊँचे पहाड से गिरना, नदी में डूबता दिखना, शरीर में कई रोग अचानक आना और बच्चो के पैदा होते ही बीमार होना, संतान का कहने से बाहर होना, कोर्ट कचहरी में झूठे मुकदमें में फंसना भूत-प्रेत से परेशानी, पति-पत्नी और संतान का व्यवहार ठीक न होना दोनों शंका में पडकर अपनी ग्रहस्थी को खराब करना, मृत्यु का भय, बार-बार गर्भ खराब होना, प्रमोशन में बाधा आना।  


अगर ये लक्षण किसी भी प्रकार से आप में है तो आपकी कुंडली या आप इन दोषों से शापित हैं।


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ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष हो, वे अगर इस दिन इस दोष के निवारण के लिए उपाय व पूजन करें तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है तथा कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव में कमी आती है।


ज्योतिष के अनुसार कालसर्प दोष मुख्य रूप से .. प्रकार का होता है, इसका निर्धारण जन्म कुंडली देखकर ही किया जा सकता है। 
प्रत्येक कालसर्प दोष के निवारण के लिए अलग-अलग उपाय हैं। यदि आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में कौन का कालसर्प दोष है तो उसके अनुसार आप नागपंचमी के दिन उपाय कर सकते हैं। कालसर्प दोष के प्रकार व उनके उपाय इस प्रकार हैं-


.- अनन्त कालसर्प दोष—
– अनन्त कालसर्प दोष होने पर नागपंचमी के दिन एकमुखी, आठमुखी अथवा नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
– यदि इस दोष के कारण स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है, तो नागपंचमी के दिन रांगे (एक धातु) से बना सिक्का नदी में प्रवाहित करें।
.- कुलिक कालसर्प दोष—
– कुलिक नामक कालसर्प दोष होने पर दो रंग वाला कंबल अथवा गर्म वस्त्र दान करें।
– चांदी की ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास रखें।
.- वासुकि कालसर्प दोष—
– वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात को सोते समय सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें।
– नागपंचमी के दिन लाल धागे में तीन, आठ या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
4- शंखपाल कालसर्प दोष —
– शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण के लिए 4.. ग्राम साबूत बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।
– नागपंचमी के दिन शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें।
5- पद्म कालसर्प दोष—
– पद्म कालसर्प दोष होने पर नागपंचमी के दिन से प्रारंभ करते हुए 4. दिनों तक रोज सरस्वती चालीसा का पाठ करें।
– जरूरतमंदों को पीले वस्त्र का दान करें और तुलसी का पौधा लगाएं।
6- महापद्म कालसर्प दोष—
– महापद्म कालसर्प दोष के निदान के लिए हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड का पाठ करें।
– नागपंचमी के दिन गरीब, असहायों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें।
7- तक्षक कालसर्प दोष—
– तक्षक कालसर्प योग के निवारण के लिए .. नारियल बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
– सफेद वस्त्र और चावल का दान करें।
8- कर्कोटक कालसर्प दोष—
– कर्कोटक कालसर्प योग होने पर बटुकभैरव के मंदिर में जाकर उन्हें दही-गुड़ का भोग लगाएं और पूजा करें।
– नागपंचमी के दिन शीशे के आठ टुकड़े नदी में प्रवाहित करें।
9- शंखचूड़ कालसर्प दोष—
– शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष की शांति के लिए नागपंचमी के दिन रात को सोने से पहले सिरहाने के पास जौ रखें और उसे अगले दिन पक्षियों को खिला दें।
– पांचमुखी, आठमुखी या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
..- घातक कालसर्प दोष—
– घातक कालसर्प के निवारण के लिए पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल पर रखें।
– चार मुखी, आठमुखी और नौ मुखी रुद्राक्ष हरे रंग के धागे में धारण करें।
..- विषधर कालसर्प दोष—
– विषधर कालसर्प के निदान के लिए परिवार के सदस्यों की संख्या के बराबर नारियल लेकर एक-एक नारियल पर उनका हाथ लगवाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
– नागपंचमी के दिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें।
..- शेषनाग कालसर्प दोष—-
– शेषनाग कालसर्प दोष होने पर नागपंचमी की पूर्व रात्रि को लाल कपड़े में थोड़े से बताशे व सफेद फूल बांधकर सिरहाने रखें और उसे अगले दिन सुबह उन्हें नदी में प्रवाहित कर दें।
– नागपंचमी के दिन गरीबों को दूध व अन्य सफेद वस्तुओं का दान करें।


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पूजन विधि —
नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।


– इसके बाद व्रत-उपवास एवं पूजा-उपासना का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, पुष्प, धूप, दीप से पूजन करें तथा सफेद मिठाई का भोग लगाएं। यह प्रार्थना करें-
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।


प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।


इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें-
ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।


नागदेवता की आरती करें और प्रसाद बांट दें। इस प्रकार पूजन करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।


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आइये जाने कालसर्प योग/ कालसर्प दोष निवारण के कुछ  उपाय, जिन्हें करने से आप पा सकते है इस दोष से छुटकारा :—
.. .– ..8 नारियल पर चंदन से तिलक पूजर कर ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः इस मंत्र का ..8 बार जाप कर पीडि़त व्यक्ति के ऊपर से उसार कर बुधवार को नदी या बहते हुए जल में प्रवाहित करने चाहिये, इससे कालसर्प दोष निवारण होता है.
…– किसी भी माह के प्रथम बुधवार से नीले कपड़े में काली उड़द बांध कर वट वृक्ष की ..8 परिक्रमा करें। परिक्रमा के बाद उसे उड़द दान किसी को दान कर देनी चाहिये। ऐसा लगातार 7. बुधवार करना चाहिये।
.. .–अभिमंत्रित कालसर्प योग यंत्र पर राहू की होरा में चंदन का इत्र लगाना चाहिये।
.4 .–कालसर्प के जातक को इस दोष से मुक्ति प्राप्ति हेतु  नागपंचमी को सपेरे से अपने धन से नाग-नागिन के जोड़े को पूजन के बाद मुक्त करवा देना चाहिये।
.5 .–प्रथम बुधवार से आरंभ कर लगातार आठ बुधवार को क्रमशः स्वर्ण, चांदी, तांबा, पीतल, कांसा, लोहा, रांगे व सप्तधातु के नाग-नागिन के जोड़े को पूजन के बाद दूध के दोने में रख कर बहते जल में प्रवाहित करना चाहिये ।
ग्रहण काल में निम्न मंत्र के जाप से पूजन का सप्तधातु के नाग-नागिन बनवा कर जल में प्रवाहित करना चाहिये। 
.6 .—कालसर्प दोष निवारण हेतु निम्न मन्त्र भी लाभकारी हैं— 
“ऊँ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमनु। ये अंतरिक्षे से दिवितेभ्यः सर्पेभ्यो नमः।”
.7 .— ग्रहणकाल में किसी ऐसे शिव मन्दिर की पिण्डी पर पंचमुखी नाग की तांबे की मूर्ति लगवानी चाहिये जिस पर पहले से नागदेव न हों तथा पीले फूल से पूजा कर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिये। इसमें यह अवश्य ध्यान रखना चाहिये कि आपको यह पूजन करते हुए कोई देखे नहीं।
.8 .–प्रत्येक शिवरात्रि, श्रावण मास अथवा ग्रहण काल में शिव अभिषेक अवश्य करना चाहिये।
.9 .–मोर अथवा गरुड़ का चित्र बनाकर उस पर विषहरण मंत्र लिखकर उस मंत्र के दस हजार जाप कर दशांश हवन के साथ ब्राह्मणों को खीर का भोजन करवाना चाहिये ।
.. .–नियमित रूप से श्री हनुमानजी की उपासना के साथ शनिवार को सुन्दरकाण्ड का पाठ के साथ एक माला “ऊँ हं हनुमंते रुद्रात्मकाये हुं फट्” का जाप करने से भी लाभ प्राप्त होता है।
.. .–एक वर्ष आटे अथवा उड़द के नाग बना कर उसके पूजन के बाद नदी में प्रवाहित करने के एक वर्ष बाद नागबलि करवायें।
.. .–मार्ग में यदि कभी मरा हुआ सर्प मिल जाये तो उसका विधि-विधान से शुद्ध घी से अन्तिम संस्कार करना चाहिये । तीन दिन तक सूतक पालें और सर्पबली करवाये ।
.. .–नाग मन्दिर का निर्माण करवायें ।
.4 .—कार्तिक अथवा चैत्र मास में सर्पबलि करवायें ।
.5 .—नागपंचमी को सर्पाकार की सब्जी अपने वजन के बराबर लेकर गाय को खिलायें ।


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पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री–.9..9.9..67  या .9669.9..67 …

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