चाईनीज क्योर क्यों ? भारतीय क्यों नहीं ?
चीनी वास्तु कला और भारतीय वास्तु शास्त्र
वास्तु शास्त्र आज बहुत ही प्रचलित है।
भारतीय वास्तु शास्त्र को हम वास्तु शास्त्र के नाम
से जानते हैं। इसके अनुसार भवन निर्माण से पहले
वास्तु शास्त्र के नियमों पर ध्यान देना चाहिए। परन्तु
चीनी वास्तु कला जिसे हम ‘फैंगशुई’ के नाम से
जानते हैं जिसमें निर्मित भवन वास्तु के नियमों के
आधार पर उनका पालन कर लाभान्वित हो सकते
हैं। भारतीय वास्तु शास्त्र व चीनी वास्तु कला
‘फैंगशुई’ मंे बहुत सी समानताएं है। दोनों के
प्रचलन मंे आने से यह बात स्पष्ट है कि मानव-जीवन
को सुखी व समृद्धिदायक बनाने के लिए सदैव
प्रयासरत रहा है।
परन्तु इससे यह अभिप्रायः बिल्कुल नहीं है
कि भारतीय वास्तु शास्त्र का महत्त्व चीनी वास्तु
कला ‘फैंगशुई’ से कम हो जाता है। यदि भवन में
वास्तु शास्त्र के अनुसार कोई त्रुटि है तो क्या वह
त्रुटि चीनी क्योर या चिन्ह लगाकर ही दूर हो
सकती है। क्यों नहीं हमने यह विचार किया कि
चीनी चिन्ह उन लोगों के लिए उनकी भाषा में बनाए गए
है व उनके धर्म व संस्कृति से जुड़े हुए है। वास्तु दोष
दूर करने के लिए क्या हम चीनी चिन्हों कि जगह अपने
ऊँ व स्वास्तिक के चिन्ह नहीं लगा सकते ?
भारतीय ग्रन्थों में उल्लेखित है कि हमारे
भारतीय चिन्हों व मंत्रो का भली प्रकार से उपयोग
किया जाए तो वह इतने शक्तिशाली प्रमाणित हुए है
कि वह वास्तु बाधा ही नहीं अन्य बाधाओं को भी दूर
करने में सफल सिद्ध हुए हैं। भारतीय वास्तु शास्त्र
व चीनी ‘फैंगशुई’ में समानताएं होने से यह अभिप्रायः
बिल्कुल नहीं है फिर जहाँ भारतीय वास्तु शास्त्र के
अनुसार कुछ गलत है वहां पर आप चीनी क्योर
लगाएं।
भारतीय वास्तु शास्त्र में हर दिशा में दिशा
निर्धारित देवता द्वारा वहां की नकारात्मक ऊर्जा
समाप्त हो जाती है। सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव
सुचारू रूप से होने लगता है। धार्मिक श्लोकांे व
मंगल गानों को सुन मंत्रमुग्ध होकर हम तालियाॅ
बजाते हैं। हम तालियाॅ तब बजाते हैं जब हमारा मन
प्रसन्न होता है और तालियां बजाने से
नकारात्मक ऊर्जा दूर नहीं होती, हम स्वस्थ भी
होते हंै तालियां बजाने से एक्युप्रेशर खुद ब खुद
हो जाता है और बिना धन खर्च करे हम स्वास्थ्य
को प्राप्त कर सकते हंै।
बाजार में बिकने वाले चाइनीज सिक्के
को हम सौभाग्य का प्रतीक मान कर अपने पर्स
या गल्ले में रखते हैं। चाइनीज सिक्के चीनी
वासियों के लिए सौभाग्य का प्रतीक हैं तो
भारतीयों के लिए भारतीय सिक्का सौभाग्य का
प्रतीक समझना चाहिए। चाइनीज सिक्के की
जगह हम भारतीय चांदी के पुराने सिक्के या
तांबे के सिक्कों को अपने पर्स या गल्ले मे रखें
तो कहीं ज्यादा अच्छे परिणाम सामने आएंगे।
भारतीय आज भी दिपावली व शुभ अवसरों पर
अपने प्रियजनों को चांदी के सिक्के सौभाग्य का
प्रतीक मान कर अच्छी भावनाओं के साथ भेंट
स्वरूप देते हैं अगर इन सिक्कों को आप अपने
पास रखे तो चाइनीज सिकके की अपेक्षा चांदी
के सिक्के अत्यधिक शुभ प्रतीत होंगे।
पं. दयानन्द शास्त्री
विनायक वास्तु एस्ट्रो शोध संस्थान ,
पुराने पावर हाऊस के पास, कसेरा बाजार,
झालरापाटन सिटी (राजस्थान) ..6…
मो. नं. …. .