चाईनीज क्योर क्यों ? भारतीय क्यों नहीं ? चीनी वास्तु कला और  भारतीय वास्तु शास्त्र  वास्तु शास्त्र आज बहुत ही प्रचलित है। भारतीय वास्तु शास्त्र को हम वास्तु शास्त्र के नाम से जानते हैं। इसके अनुसार भवन निर्माण से पहले वास्तु शास्त्र के नियमों...
भवन हेतु प्लाट/ भूखण्ड (का आकार-- वास्तु सम्मत) लेते / खरीदते समय सावधानियां ------ अनेकों व्यक्ति भूखण्ड के शुभ-एव अशुभ तथ्वों के ध्यान में रखे विना ही भवन निर्माण प्रारम्भ करवा देते है, जिसके फलस्वरूप अशुभ फल, आर्थिक हानि, दुख तथा कष्ट में...
भवन निर्माण/रखरखाव में (वास्तु सम्मत)सावधानियां---- वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण के लिए चुना गया भूखण्ड आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए। जिसकी सभी चारों दीवारें 90 अंश का कोण बनाती हों। ऐसा प्लाट वास्तु नियमानुसार उत्तम श्रेणी का प्लाट माना...
दक्षिण दिशा का द्वार (दरवाजा)--- हमारे मन में दक्षिण दिशा से बहुत भय है। इसलिए कोई भी अपने मकान का द्वार दक्षिण में नहीं रखना चाहता है। पश्चिम में कुछ अच्छा है। अतः दो चार प्रतिशत भवन पश्चिम द्वार में मिल...
आग्नेय दिशा / मुखी ....मकान/भवन---- वास्तु शास्त्र प्राकृतिक तत्वों पर आधारित उच्चकोटि का विज्ञान हैं। वास्तुशास्त्र परोक्ष रूप से प्र्रकृति के नियमों का अनुसरण करता हैं जो मानव को पंच तत्वों में सन्तुलन बनाएँ रखने की प्रेरणा देता हैं। सृष्टि...
वायव्य दिशा / मुखी ....मकान/भवन---- वास्तु का अर्थ है वास करने का स्थान। महाराज भोज देव द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में ‘समरांगण सूत्रधार’ नामक ग्रंथ लिखा गया था जो वस्तु शास्त्र का प्रमाणिक एवं अमूल्य ग्रथं है। वैसे वास्तु शास्त्र...
क्यों होने चाहिए दिषाओं के अनुरूप भवन..??? नैऋत्य दिशा / मुखी ....मकान/भवन---- वास्तु का अर्थ है वास करने का स्थान। महाराज भोज देव द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में ‘समरांगण सूत्रधार’ नामक ग्रंथ लिखा गया था जो वस्तु शास्त्र का प्रमाणिक एवं अमूल्य...
उत्तर दिशा/ मुखी ....मकान/भवन---- वास्तु का अर्थ है वास करने का स्थान। महाराज भोज देव द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में ‘समरांगण सूत्रधार’ नामक ग्रंथ लिखा गया था जो वस्तु शास्त्र का प्रमाणिक एवं अमूल्य ग्रथं है। वैसे वास्तु शास्त्र कोई...
पश्चिम दिशा के अनुरूप भवन--- वास्तु शास्त्र प्राकृतिक तत्वों पर आधारित उच्चकोटि का विज्ञान हैं। वास्तुशास्त्र परोक्ष रूप से प्र्रकृति के नियमों का अनुसरण करता हैं जो मानव को पंच तत्वों में सन्तुलन बनाएँ रखने की प्रेरणा देता हैं।...
दक्षिणमुखी भवन भी सुखमय--- कभी-कभी किसी भ्रान्तिवश ऐसी  मानसिकता बन जाती है कि हम बुरा मान लेते है और इस भ्रान्ति  से वास्तुषास्त्रानुसार कोइ भी दिशा  अच्छी या बुरी नहीं होती है। सभी दिशाओ  की अपनी विषेषतायें होती है। आमतोर...

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