भारतीय वास्तुशास्त्र की महत्ता प्राचीनकाल से ही रही है और अब एक बार फिर वास्तुशास्त्र के नियमों को बड़े पैमाने पर अपनाया जाने लगा है। मध्य के अनेक दशकों में इस शास्त्र को लगभग भुला दिया गया था, लेकिन जैसे-जैसे जीवन में समस्याएं बढ़ने लगी लोग एक बार फिर इसके सिद्धांतों को अपनाने लगे हैं। आम व्यक्तियों के लिए वास्तु के अनुकूल भले ही भवन न निर्माण हो सके किन्तु एक कोशिश अवश्य हो सकती है जिस प्रकार से ज्योतिष शास्त्र में भाग्य का परिवर्तन भले ही न हो सके किन्तु कर्मकांड के द्वारा रक्षा अवश्य हो सकती है |
अस्तु —–ब्रह्मस्थल –अर्थात –भवन का “आंगन “—के देवता स्वयं ब्रह्माजी हैं तथा तत्व आकाश है | इस स्थान पर अर्थात “ब्रह्मस्थल ” पर आँगन अवश्य होना चाहिए साथ ही ऊपर से खुला जाल होना भी चाहिए जिससे आँगन में धुप -हवा का आना उत्तम रहता है। भवन का साफ सुथरा निर्माण एवं भार रहित होना निवासियों को विशाल हृदय के साथ -साथ विशाल बुद्धि मिलती है। किसी भी भवन का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है उसका मध्य भाग। यह इतना महत्वपूर्ण होता है कि इसे ब्रह्मस्थान कहा जाता है।
पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि प्राचीनकाल में ब्रह्मस्थान को खाली छोड़ा जाता था, यानी उसमें कुछ भी निर्माण नहीं किया जाता था, लेकिन अब जगह की कमी के कारण मध्यभाग में भी निर्माण करना मजबूरी बन गया है। ऐसे में यह ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है कि मध्यभाग यानी ब्रह्मस्थान में कोई बड़ा पिलर नहीं होना चाहिए। इससे संपूर्ण भवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो जाएगा और फिर अन्य किसी भी शुभ स्थान का कोई प्रभाव नहीं होगा। ऐसे भवन में रहने वाले लोगों को हमेशा कोई न कोई रोग घेरे रहता है।
किसी भी घर या यों कहें कि वास्तु में पंच तत्वों (आकाश, पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल) का विशेष महत्व होता है। यहां हम घर के मध्य स्थान या ब्रम्ह स्थान या आकाश तत्व या SPACE ELEMENT की चर्चा कर रहे हैं। जो स्थान हमारे शरीर में पेट और नाभि का होता है, वही स्थान हमारे घर के मध्य स्थान का होता है। हमारे शरीर में नाभि ही शरीर का मध्य बिंदु होता है।
वास्तु शास्त्र में इसे सूर्य स्थान भी कहा जाता है। जिस प्रकार सूर्य, ऊर्जा का प्रमुख स्रोत होता है, ठीक उसी प्रकार घर के ब्रम्ह स्थान से ही ऊर्जा घर की विभिन्न दिशाओं में प्रवाहित होती है। इसीलिये इस स्थान को रिक्त, स्वच्छ और साफ-सुथरा एवं यथासंभव खुला रखने की सिफारिश की जाती है।वास्तुविद पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि पहले घरों में यहां पर खुला चौक या आंगन रखने की परंपरा थी, अतः जहां तक सम्भव हो घरों में सुख-शांति बहाल रखने के लिये इस प्रकार की व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। यदि यह बिल्कुल भी सम्भव न् हो तो यथासंभव घर के ईशान, पूर्व या उत्तर को अवश्य खुला रखें।
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- वास्तुशास्त्री पण्डित दयानन्द शास्त्री के अणु किसी भी घर/भवन के मध्य स्थान ज्ञात करने के लिये घर के नक्शे पर लम्बाई को तीन भागों में और चौड़ाई को चार भागों में बाटें और प्रत्येक भाग को लाइनों से मिलाकर पूरे क्षेत्र को 9 आयताकार भागों में बाट लें, जिसमें बीच वाला आयत ही ब्रम्ह स्थान होता है।
- ग्रह निर्माण में 8. वास्तु पदों में बीच वाले 9 स्थान ब्रम्ह स्थान के लिए ही नियत किये जाते हैं।
प्रकृति के विभिन्न दिशाओं से आने वाली ऊर्जा उस भूखंड के केंद्र स्थल पर ही संचित होती रहती है और फिर वहीं से सभी दिशाओं में प्रवाहित होती रहती है अतः जीवन मे सुख-सौभाग्य में वृद्धि करने के लिये ब्रम्ह स्थान का विशेष ध्यान रखा जाता है। - आधुनिक फ्लैट वाले मकानों में जहां ये सब बातें सम्भव न हो, वहां पिरामिड-वास्तु का उपयोग सर्वोत्तम होता है, पिरामिड इंस्टाल करने से पंच तत्वों में से किसी भी तत्व को पूरी तरह से ऊर्जावान बनाकर एक्टिव किया जा सकता है।
- घर की पॉज़िटिव ऊर्जा बढ़ाने का मतलब यही है कि यदि घर में कोई नेगेटिविटी नहीं है या उस नेगेटिविटी को किसी भी तरीका अपनाकर न्यूट्रलाइज़ कर दिया गया है, और उस घर मे रहने वालों के शरीर मे भी कोई बाहरी नेगेटिविटी नहीं है तो इसका सीधा असर उस घर मे रहने वालों के 7 चक्रों पर पड़ता है।
- यही नेगेटिविटी ही उन चक्रों के ब्लॉक कर देती है, जिसका सीधा असर इम्यून सिस्टम पर पड़ता है और सभी प्रकार की बीमारियां घेरने लगती हैं। यदि अपने घर की औऱ स्वयं अपनी नेगेटिविटी वैज्ञानिक तरीक़ो से दूर कर ली जाए तो सभी 7 चक्र खुल जाते हैं, इम्यून सिस्टम स्ट्रांग हो जाता है और बीमारियां भी दूर भागने लगती हैं। इससे दवाइयां भी तेजी से असर् दिखाने लगती है, diagnosis भी सही हो जाती है। सभी 7 चक्रों के खुले और healing होने का मतलब ही यही है – निरोगी काया।
- कोरोना भी उसी में से एक है। यदि आपका इम्यून सिस्टम मज़बूत है तो कोरोना की कोई भी औक़ात नहीं है कि वो आपकी तरफ नज़र उठाकर भी देख सके।
इसलिये यथा सम्भव घर पर ही रहिये, सरकारी दिशा-निर्देशों की यथासंभव पालना करिये। खुद भी सुरक्षित रहिये, जिससे आपका परिवार भी सुरक्षित रहेगा और देश भी सुरक्षित रहेगा।