क्या आप जानते है सुखी जीवन के वास्तु सूत्र/नियम ???????
समाज में प्रचलित कुछ बाते एसी होती है जो सुनने में तो मामूली लगती है किन्तु महत्त्वपूर्ण होती है. इन बातों का वास्तु की द्रिस्टी से बहुत महत्व है.इन बातों का ध्यान रखकर आने वाली अनेक बाधाओं एव बीमारियों से बचा जा सकता है . कुछ एसी ही बातों को यहाँ बता रहा हुं.—-
—-पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर में मुँह करके करनी चाहिए तथा यथासंभव सुबह ६ से ८ के बिच में करनी चाहिए .
—-पूजा हमेशा ज़मीन पर आसन बिछा कर ,उस पर ही बेथ कर करनी चाहिए .चौकी या खाट(पलंग) पर नहीं करनी चाहिए .
—-वास्तु के अनुसार नहाना ,खाना ,या टेलीफ़ोन आदि करते समय हमेशा उत्तर या पूर्व की दिशा की तरफ ही मुँह करके करना चाहिए .
—-नहाते समय या सोते समय जब कपड़ों को शरीर पर से उत्तर कर रखा जाता है तो कभी भी कपड़े उल्टा करके नहीं छोड़ना चाहिये .
—–मुख्य दरवाज़े के सामने ,अंदर या बाहर कोई भी ऐसा सामान नहीं रखना चाहिए जिससे अवरोध खड़ा होता हो.
—–रात को खाना खाने के बाद कम से कम एक घंटे तक जगे रहना चाहिए तथा खाना खाते वक्त बात भी कम करनी चाहिए .
—– सुबह पलग से उठते समय हमेशा दाया पाव फर्श पर रखना चाहिए .घर से निकलते समय पहला कदम बायें पाव से ही आगे बडाना चाहिए.
——हमेशा पूर्व या दछिन में सर रखकर सोना चाहिए .पत्नी को हमेशा पति की बायीं तरफ ही सोना चाहिए .इससे दोनों में प्यार बना रहता है.
—–खाना खाने के बाद लघुशंका करना ,स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है.
—–.रात में घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिये.अगर लगाना अनिवार्य ही हो तो कचरे को बाहर ना फेककर एक कोने में ही लगा देना चाहिये .
—- यदि आप घर के ड्रॉइंग रूम को डायनिंग रूम के तौर पर भी प्रयोग करें , तो डायनिंग टेबल सदैव दक्षिण पूर्व में हीलगाएं।
—– घर में परिवार , बुजुर्गों , दिवंगत पितरों , देवी – देवताओं के चित्र टांगने के लिए सदैव पूर्व या उत्तर दिशा की दीवारों काप्रयोग करना चाहिए।
—- बच्चों के कक्ष में भयानक चित्र , पेंटिंग या मूर्ति आदि नहीं लगाने चाहिए , जिससे उन्हें डर लगे।
—- बिल्ली , कुत्ते या किसी और पालतू जानवर जैसे मोर – तोता आदि के लिए दक्षिण – पूर्व का स्थान उपयुक्त है। अगरइमारत के बाहर दक्षिण – पूर्व में या दक्षिण – पश्चिम में इनके लिए स्थायी स्थान बना दिया जाए , तो ज्यादा अच्छा रहताहै।
—— ड्रॉइंग रूम के नैऋत्य कोण में ही बिजली के स्विच , टेलीविजन , म्यूजिक सिस्टम , बैटरी , इनवर्टर , टेलीफोन आदिरखने चाहिए। यदि टेलीफोन व्यापारिक या कारोबारी व्यक्ति का हो , तो उत्तर दिशा में भी इसका एक्सटेंशन लिया जासकता है , लेकिन मेन टेलीफोन नैऋत्य या आग्नेय कोण में ही होना चाहिए।
—- किसी भी घर के अंदर से ऊपर जाने वाली सीढि़यां पूर्व या दक्षिण दिशा में शुभ होती हैं। सीढ़ियां विषम संख्या मेंदाहिनी ओर झुकाव वाली हों , तो बढ़िया रहता है। घर का जल निकास स्रोत उत्तर या वायव्य कोण में ठीक रहता है।
——- चिनाई शुरू करते समय या निर्माण की नींव रखते समय ईशान या पूर्व दिशा से जमीन पाटने का काम करना चाहिए। उत्तर दिशा से भी काम शुरू किया जा सकता है। ऐसे मुहूर्त में किया गया कार्य जल्दी पूरा होता है। हमेशा स्थिर लग्न में और चर चन्द्रमा में ही निर्माण कार्य का आरंभ होना चाहिए।
—— इमारत बनवाने में लकड़ी और लोहे का प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए। पुरानी लकड़ी, जंग लगा लोहा और पुरानी ईंटों का इस्तेमाल न करे।
—– गेस्ट रूम सदैव पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। वैसे, वायव्य कोण भी आने-जाने वालों के लिए उत्तम स्थान है। मेहमान के कमरे के लिए अलग से एंट्री बनाएं। घर के बीचों-बीच ब्रह्म स्थान खाली हो, तो उत्तर की ओर सीढि़यां बनवाकर पहली या दूसरी मंजिल पर गेस्ट रूम बनाया जा सकता है।
—– भवन, मकान या कोठी की पूर्व दिशा में फलदार पेड़ या ऊंचे उठने वाले पेड़ लगाना शुभ होता है, लेकिन ऐसे पेड़ पश्चिम दिशा में नहीं होने चाहिए। पश्चिम दिशा में मकान की अंतिम चारदीवारी के बाद खाली जगह नहीं छोड़नी चाहिए। इससे सेंधमारों और चोरों को रास्ता मिल जाता है।
—– घर की नकदी और बहुमूल्य कागजात आदि के लिए सेफ या अलमारी आदि सदैव उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए। यदि किसी कारण बेसमेंट का निर्माण कराया गया हो, तो वहां भी उत्तर की ओर इस प्रकार के मूल्यवान चीजें रखी जा सकती हैं।
—— स्टोर रूम दक्षिण दिशा या आग्नेय कोण में बनाया जा सकता है, बशर्ते वहां किचन के उपयोग की सामग्री रखी जाए।
——- पानी का कनेक्शन पूर्व में और उसका स्टोरेज टैंक पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम में बनाना ठीक रहेगा।
—— मकान के मेन गेट पर सुबह 9 बजे से दोपहर .-4 बजे के बीच दूसरे भवन की छाया नहीं पड़नी चाहिए। इससे वास्तु दोष घर के बाहर से ही परिपक्व हो जाता है। यदि इस प्रकार का वास्तु दोष हो रहा हो, तो मुख्य द्वार के सामने गणेश प्रतिमा या वास्तु यंत्र अवश्य लगा लेना चाहिए।
—– गल्ला – तिजोरी और मंदिर आदि में कुबेर यंत्र श्रीयंत्र ( जो विद्वान पंडित से सिद्ध किए गए हों ) शुभ मुहूर्त जैसे दीवाली ,वसंत पंचमी या ग्रहण आदि के दौरान रखने चाहिए।
——यदि आपका मकान केवल एक ही मंजिल वाला हो या फिर आप किसी अपार्टमेंट के फ्लैट में रहते हैं तो उसके दक्षिण-पश्चिमी, पश्चिमी या फिर दक्षिणी भाग में बुजुर्गो जैसे-दादा-दादी या फिर माता-पिता का कमरा होना चाहिए। जबकि बच्चों के लिए सभी दिशाएं उपयुक्त हैं।
—–परिवार के सभी सदस्यों के बेडरूम में प्राकृतिक प्रकाश की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसा तभी संभव होता है, जब पूरे मकान के चारों ओर खुली जगह हो। यदि प्रकाश की ज्यादा व्यवस्था न हो पाए तो खिडकी के साथ रोशनदान जरूर बनवाएं। प्राकृतिक प्रकाश से व्यक्ति में सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है और परिवार के सदस्यों के बीच वैमनस्य की भावना नहीं पनपती।
—— पूजा-पाठ, जप-तप, कथा-प्रवचन, योग एवं ऐसे ही अन्य धार्मिक कार्यो के लिए यूं तो पूर्व दिशा सर्वोत्तम है। फिर भी पूर्वोत्तर दिशा ऐसे सभी कार्यो के लिए उत्तम है।
—-हर महीने में एक बार कम से कम एक दिन ऐसा जरूर निकालें कि जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर धार्मिक क्रियाकलाप जैसे हवन, यज्ञ, कथा आदि करें। इससे न केवल घर की शुद्धि होती है बल्कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों के बीच भावनात्मक लगाव भी बढता है।
——यदि आपके मकान में एक से अधिकमंजिलें हैं तो आयु में बडे सदस्यों को ऊपरी एवं छोटे सदस्यों को निचली मंजिल पर रहना चाहिए। अर्थात बडों के पांव के नीचे के भाग में छोटे सदस्य रहें तो उत्तम है।
—–अगर परिवार के वरिष्ठ सदस्यों को सीढियां उतरने-चढने में कठिनाई महसूस हो तो ऐसी स्थिति में बुजुर्गो का बेड ऊपरी मंजिल पर रहने वाले बच्चों या युवाओं के बेड के बिलकुल ऊपर न होकर थोडा दाएं या बाएं होना चाहिए।
——पूरे परिवार की एकजुटता के लिए यह भी ध्यान रखें कि आपका डाइनिंग रूम मकान के पूर्व, उत्तर या दक्षिण-पूर्व दिशाओं में हो।
——भोजन करते समय परिवार के वरिष्ठ सदस्यों का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे और बाकी सदस्य दक्षिण छोडकर किसी भी दिशा की ओर मुख करके बैठ सकते हैं।
——- लंच या डिनर के समय परिवार के सभी सदस्यों को टीवी देखने के बजाय आपस में प्रसन्नतापूर्वक बातचीत करनी चाहिए। किसी भी कटु विषय पर बातचीत नहीं करनी चाहिए।