गृहारम्भ/नीव मुहूर्त मुहुर्त का निर्धारण रोगबाण, भद्रा एवं कुयोग का ध्यान रखते हुए किया गया है। सूर्य उत्तरायण होने पर गृहारम्भ शुभ माना गया है। अतः यहां पर जो भी मुहुर्त दिये गये है उनमें इन सभी बातें का ध्यान रखा गया है। |
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दिनांक | तिथि | वार | नक्षत्र | समय से | समय तक | टिप्पणि | |||||||
..-..-…. | दशमी | वृहस्पतीवार | रोहिणी | .8:45 | ..:.. | मध्यम | |||||||
..-..-…. | एकादशी | शुक्रवार | रोहिणी, मृगिशिरा | .8:4. | ..:.8 | मध्यम | |||||||
..-..-…. | अष्टमी | वृहस्पतीवार | रोहिणी | ..:55 | .4:.9 | ||||||||
.5-..-…. | द्वादशी | सोमवार | पुष्य | गोधुली वेला | |||||||||
..-..-…. | द्धितिय | शनीवार | हस्ता | ..:55 | ..:.9 | ||||||||
..-..-…. | चतुर्थी/पंचमी | सोमवार | स्वात्याम् | ..:.4 | ..:.8 |
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यहाँ पर दिये गये मुहर्त पंचांग पर आधारित है। अतः आप सभी मुहुर्त में अक्षांस एवं देशान्तर के हिसाब से स्थानीय समय जोड़ लें। जब निमार्ण ज्यादा जरूरी हो तभी मध्यम तिथि में गृहारम्भ की शुरूआत करें। |
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