केसा हो  ब्यूटी पार्लर का वास्तु—


वर्तमान में ब्यूटी पार्लर का चलन बहुत अधिक हो गया है। दक्षिणमुखी भूखंड होटल, स्टील, हार्डवेयर, स्टोर, टायर , तेल , रसायन, इंजीनियरिंग, कोयला और ब्यूटी पार्लर जैसे व्यवसायों के लिए वास्तु शास्त्र में बहुत ही शुभ माने गये हैं.

ब्यूटी पार्लर खोलने के लिए न तो बड़ी डिग्री की जरूरत है और न ही ज्यादा पूंजी की। घर बैठे आप यह काम कर सकती हैं और बन सकती हैं आत्मनिर्भर।आज स्त्रियां खुद को संवारने के लिए कास्मेटिक सर्जरी से लेकर हेल्थ क्लब, ब्यूटी पार्लर और लेटेस्ट फैशन के कपड़ों से भरे शो रूमों तक के चक्कर लगाते बोर नहीं होतीं। अपने रखरखाव में महिलाएं इस सब पर मोटी रकम खर्च करने से भी नहीं चूकतीं।आज की सुंदर और चुस्त तनमन की महिलाएं यह दावा करती हैं कि सुंदर दिखना, पति को रिझाने की मजबूरी नहीं, अपने आत्मविश्वास को बरकरार रखने की एक छोटी सी कोशिश है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर की मरम्मत करने के लिए आप मदद ले सकती हैं कास्मेटोलाजिस्टों की। यदि शरीर पर अनचाहे बाल हैं तो लेजर थेरेपी से उनसे छुटकारा पाया जा सकता है। त्वचा की झुर्रियों को दूर किया जा सकता है। लटके स्तनों को सुडौल बनाया जा सकता है।  ब्यूटीपार्लरों में ब्यूटी ट्रीटमेंट आसान हो गया है। शरीर को कास्मेटिक या प्लास्टिक सर्जरी से परफेक्ट शेप में लाया जा सकता है।  
रजिस्ट्रेशन :—- पार्लर सूक्ष्म उद्यम है, इसलिए पंजीकरण जिला उद्योग केंद्र में होता है। इसके बाद प्लॉट आवंटन और ऋण लेने में सुगमता रहती है। बैंक उद्यमियों से ब्याज भी बाजार दर से आधा प्रतिशत कम लेता है। एक्ट के अनुसार लोन लेने वाले उद्यमियों के लिए .5 दिन का ईडीपी प्रशिक्षण आवश्यक होता है। शॉप एक्ट के तहत आप यदि बाजार में या घर पर ही पार्लर खोलना चाहें तो पार्लर शुरू करने के एक माह के अंदर आपको पंजीकरण करवाना जरूरी है। जॉइंट लेबर कमिश्नर के कार्यालय में यह पंजीकरण होता है। यदि आपने पंजीकरण नहीं करवाया है तो पेनल्टी लग सकती है।
प्रशिक्षण :— पार्लर का प्रशिक्षण प्राइवेट तौर पर वे ब्यूटीशियन दे सकती हैं, जिनका खुद का रजिस्ट्रेशन हो। प्रशिक्षित ब्यूटीशियन से ट्रेनिंग लेकर कुछ महीने बाद प्रेक्टिस के बाद ही खुद का पार्लर खोलना सही रहता है। 
कई बार देखने में आता है कि शहर के मुख्य स्थान पर ब्यूटी पार्लर होते हुए भी अच्छा व्यवसाय नहीं हो पाता।   इसका कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। 
इसका कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। अत: ब्यूटी पार्लर का निर्माण करवाते समय नीचे लिखे वास्तु नियमों का पालन करें-
——–ब्यूटी पार्लर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व में होना अच्छा होता है।
——-पार्लर का नाम किसी स्त्रीलिंग शब्द से ही होना चाहिए।
——- बिजली के स्विच व उपकरण आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में होना चाहिए।
——-मुख्य ब्यूटीशियन को नैऋत्य (पश्चिम-दक्षिण) में कोना छोड़कर इस प्रकार बैठना चाहिए कि उसका मुंह उत्तर या पूर्व की ओर रहे।
——-ग्राहकों को सदैव वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में बैठाना चाहिए।
——- दर्पण उत्तरी-पूर्वी दीवारों पर लगाएं।
—— थ्रेडिंग, वैक्सिंग, पेडीक्योर, मैनी क्योर, हेयर कटिंग, मेहंदी, कलरिंग, पार्मिंग, ट्रिमिंग आदि कार्य आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में करें।
——-दीवारों व पर्दों का रंग हल्का गुलाबी, नारंगी, आसमानी और हल्का बैंगनी रख सकते हैं।
—— फिजीकल फिटनेस के लिए कोई मशीन, उपकरण आदि हो तो उन्हें नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण) में लगाएं।

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