वास्तु अनुसार कैसा होना चाहिए बच्चों का कमरा और उनका स्डडी रूम / अध्ययन कक्ष/ पढाई का कमरा.????
वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार बच्चों के कमरे का प्रवेश द्वार उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए। खिड़की अथवा रोशनदान पूर्व में रखना उत्तम है। पढ़ने की टेबल का मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। पुस्तकें ईशान कोण में रखी जा सकती है। बच्चों का फेस पढ़ते समय उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए। एक छोटा सा पूजा स्थल अथवा मंदिर बच्चों के कमरे की ईशान दिशा में बनाना उत्तम है। इस स्थान में विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाना शुभ है।
कमरे का ईशान कोण का क्षेत्र सदैव स्वच्छ रहना चाहिए और वहां पर किसी भी प्रकार का व्यर्थ का सामान, कूड़ा, कबाड़ा नहीं होना चाहिए। अलमारी, कपबोर्ड, पढ़ने का डेस्क और बुक शेल्फ व्यवस्थित ढंग से रखा जाना चाहिए। सोने का बिस्तर नैऋत्य कोण में होना चाहिए। सोते समय सिर दक्षिण दिशा में हो, तो बेहतर है। परंतु, बच्चे अपना सिर पूर्व दिशा में भी रख कर सो सकते हैं।
वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार कमरे के मध्य में भारी सामान न रखें। कमरे में हरे रंग के हल्के शेड्स करवाना उत्तम है। इससे बच्चों में बुद्धिमता की वृद्धि होती है। कमरे के मध्य का स्थान बच्चों के खेलने के लिए खाली रखें। बच्चों के कमरे का द्वार कभी भी सीढ़ियों अथवा शौचालय से सटा न हो, अन्यथा ऐसे परिवार के बच्चे मां-बाप के नियमानुसार अनुसरण नहीं करेंगे। बच्चों के कक्ष के ईशान कोण और ब्रह्म स्थान की ओर भी विशेष ध्यान दें कि वहां पर बेवजह का सामान एकत्रित न हो। यह क्षेत्र सदैव स्वच्छ और बेकार के सामान से मुक्त होना चाहिए।
क्या आपके बच्चे का पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता?
वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार हो सकता है आपके बच्चों के स्डडी रूम में कहीं न कहीं से नकारात्मक ऊर्जा आ रही हो। पढ़ाई में कॉनसन्ट्रेशन बढ़ाने, याददाश्त बढ़ाने के लिए इन साधारण वास्तु टिप्स को फॉलो करें।
शायद आपकी चिंता दूर हो जाए…
==स्टडी रूम यानी जीवन का अहम् हिस्सा जहाँ यूथ अपना अधिक से अधिक समय बिताते हैं। यदि यह आपको सूट न करे तो बड़ी गड़बड़ हो सकती है और आपका ध्यान पढाई से हट भी सकता है।
==कैसा हो स्टडी टेबल :– आपके बच्चों के स्डडी रूम में स्टडी टेबल रेग्युलर शेप का होना चाहिए। यानी टेबल आयताकार, वर्गाकार या गोलाकार होना चाहिए। टेबल का आंकार आड़ा-तिरछा होगा तो बच्चा कॉनसन्ट्रेट नहीं कर पाएगा, कन्फ्यूज्ड रहेगा। टेबल के कोने कटे हुए नहीं होने चाहिए।टेबल की हाईट आपकी हाईट के अनुसार ही हो। ताकि आपकी कमर न झुके।
==स्टडी रूम हमेशा नॉर्थ, ईस्ट या नॉर्थ-ईस्ट में ही होना चाहिए। स्टडी टेबल हमेशा लकड़ी की हो। लोहे का प्रयोग न करें। टेबल की सतह चिकनी हो, खुरदरी न हो। टेबल समतल हो, खुरदरी न हो। टेबल को कभी दीवार से अलग न रखे नहीं तो एकाग्रता में बाधा आ सकती है।
==टेबल की दिशा :–आपके बच्चों के स्डडी रूम में उत्तरी दिशा से आने वाली ऊर्जा सकारात्मक होती है। पढ़ते समय बच्चे का चेहरा उत्तर की ओर होना चाहिए। ऐसा करने से थकान नहीं होती और कॉनसन्ट्रेशन बना रहता है। इस दिशा को ब्लॉक न करें, घर के अंदर इस दिशा से एनर्जी को आने दें।
==सॉलिड बैक :–जब आपका बच्चा पढ़ने के लिए बैठे तो उसकी पीठ के पीछे दीवार होनी चाहिए। आपके बच्चों के स्डडी रूम में पीठ के पीछे कोई खिड़की या ओपनिंग आपको एनर्जी सपोर्ट तो देती है लेकिन कॉनसन्ट्रेशन भंग करती है।
==कोई बाधा न हो :– पढ़ाई करते समय बच्चे के सामने से ऊर्जा के प्रवाह में कोई बाधा नहीं पड़नी चाहिए। सामने करीब 7-8 फीट का स्पेस होना चाहिए। आपके बच्चों के स्डडी रूम में स्टडी टेबल को दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए। टेबल पर ही बड़ा-सा बुकशेल्फ न बनाएं।
==स्डडी रूम व्यवस्थित रखें :– आपके बच्चों से कहें पुरानी किताबें, नोट्स, मेल्स, स्टेशनरी सभी स्टडी रूम से बाहर करें। रोज़ाना आपके बच्चों को स्टडी रूम को साफ करने की आदत डाल लें।
==वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार स्टडी टेबल के सामने अपने इष्ट देवता, माता-पिता या किसी महान व्यक्ति की तस्वीर लगा सकते हैं, मगर फिल्म स्टार या बेहूदी फोटो न लगाएँ।
==कलर : आपके बच्चों के स्डडी रूम में लेमन यलो और वॉयलेट कलर मेमरी और कॉनसन्ट्रेशन बढ़ाने में मददगार होते हैं। आपके बच्चों के स्डडी रूम की दीवारों और टेबल-कुर्सी के लिए इन रंगों का इस्तेमाल अच्छा रहेगा।
==वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार कमरे का और स्टडी टेबल का रंग राशि के अनुसार हो। मेष और वृश्चिक सफेद व पिंक का प्रयोग करें। वृषभ और तुला सफेद-ग्रीन का इस्तेमाल करें। मिथुन और कन्या ग्रीन, सिंह ब्ल्यू, कर्क रेड एवं व्हाइट, धनु-मीन पीले-सुनहरे और मकर-कुंभ ब्ल्यू के सारे शेड्स का प्रयोग करें।
विशेष :– वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार स्टडी रूम में कभी भी गहरे रंग, काले रंग का प्रयोग न करें। पानी वाले शो पीस या पानी की तस्वीर जरूर लगाएँ।
वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार बच्चों के कमरे का प्रवेश द्वार उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए। खिड़की अथवा रोशनदान पूर्व में रखना उत्तम है। पढ़ने की टेबल का मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। पुस्तकें ईशान कोण में रखी जा सकती है। बच्चों का फेस पढ़ते समय उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए। एक छोटा सा पूजा स्थल अथवा मंदिर बच्चों के कमरे की ईशान दिशा में बनाना उत्तम है। इस स्थान में विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाना शुभ है।
कमरे का ईशान कोण का क्षेत्र सदैव स्वच्छ रहना चाहिए और वहां पर किसी भी प्रकार का व्यर्थ का सामान, कूड़ा, कबाड़ा नहीं होना चाहिए। अलमारी, कपबोर्ड, पढ़ने का डेस्क और बुक शेल्फ व्यवस्थित ढंग से रखा जाना चाहिए। सोने का बिस्तर नैऋत्य कोण में होना चाहिए। सोते समय सिर दक्षिण दिशा में हो, तो बेहतर है। परंतु, बच्चे अपना सिर पूर्व दिशा में भी रख कर सो सकते हैं।
वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार कमरे के मध्य में भारी सामान न रखें। कमरे में हरे रंग के हल्के शेड्स करवाना उत्तम है। इससे बच्चों में बुद्धिमता की वृद्धि होती है। कमरे के मध्य का स्थान बच्चों के खेलने के लिए खाली रखें। बच्चों के कमरे का द्वार कभी भी सीढ़ियों अथवा शौचालय से सटा न हो, अन्यथा ऐसे परिवार के बच्चे मां-बाप के नियमानुसार अनुसरण नहीं करेंगे। बच्चों के कक्ष के ईशान कोण और ब्रह्म स्थान की ओर भी विशेष ध्यान दें कि वहां पर बेवजह का सामान एकत्रित न हो। यह क्षेत्र सदैव स्वच्छ और बेकार के सामान से मुक्त होना चाहिए।
क्या आपके बच्चे का पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता?
वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार हो सकता है आपके बच्चों के स्डडी रूम में कहीं न कहीं से नकारात्मक ऊर्जा आ रही हो। पढ़ाई में कॉनसन्ट्रेशन बढ़ाने, याददाश्त बढ़ाने के लिए इन साधारण वास्तु टिप्स को फॉलो करें।
शायद आपकी चिंता दूर हो जाए…
==स्टडी रूम यानी जीवन का अहम् हिस्सा जहाँ यूथ अपना अधिक से अधिक समय बिताते हैं। यदि यह आपको सूट न करे तो बड़ी गड़बड़ हो सकती है और आपका ध्यान पढाई से हट भी सकता है।
==कैसा हो स्टडी टेबल :– आपके बच्चों के स्डडी रूम में स्टडी टेबल रेग्युलर शेप का होना चाहिए। यानी टेबल आयताकार, वर्गाकार या गोलाकार होना चाहिए। टेबल का आंकार आड़ा-तिरछा होगा तो बच्चा कॉनसन्ट्रेट नहीं कर पाएगा, कन्फ्यूज्ड रहेगा। टेबल के कोने कटे हुए नहीं होने चाहिए।टेबल की हाईट आपकी हाईट के अनुसार ही हो। ताकि आपकी कमर न झुके।
==स्टडी रूम हमेशा नॉर्थ, ईस्ट या नॉर्थ-ईस्ट में ही होना चाहिए। स्टडी टेबल हमेशा लकड़ी की हो। लोहे का प्रयोग न करें। टेबल की सतह चिकनी हो, खुरदरी न हो। टेबल समतल हो, खुरदरी न हो। टेबल को कभी दीवार से अलग न रखे नहीं तो एकाग्रता में बाधा आ सकती है।
==टेबल की दिशा :–आपके बच्चों के स्डडी रूम में उत्तरी दिशा से आने वाली ऊर्जा सकारात्मक होती है। पढ़ते समय बच्चे का चेहरा उत्तर की ओर होना चाहिए। ऐसा करने से थकान नहीं होती और कॉनसन्ट्रेशन बना रहता है। इस दिशा को ब्लॉक न करें, घर के अंदर इस दिशा से एनर्जी को आने दें।
==सॉलिड बैक :–जब आपका बच्चा पढ़ने के लिए बैठे तो उसकी पीठ के पीछे दीवार होनी चाहिए। आपके बच्चों के स्डडी रूम में पीठ के पीछे कोई खिड़की या ओपनिंग आपको एनर्जी सपोर्ट तो देती है लेकिन कॉनसन्ट्रेशन भंग करती है।
==कोई बाधा न हो :– पढ़ाई करते समय बच्चे के सामने से ऊर्जा के प्रवाह में कोई बाधा नहीं पड़नी चाहिए। सामने करीब 7-8 फीट का स्पेस होना चाहिए। आपके बच्चों के स्डडी रूम में स्टडी टेबल को दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए। टेबल पर ही बड़ा-सा बुकशेल्फ न बनाएं।
==स्डडी रूम व्यवस्थित रखें :– आपके बच्चों से कहें पुरानी किताबें, नोट्स, मेल्स, स्टेशनरी सभी स्टडी रूम से बाहर करें। रोज़ाना आपके बच्चों को स्टडी रूम को साफ करने की आदत डाल लें।
==वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार स्टडी टेबल के सामने अपने इष्ट देवता, माता-पिता या किसी महान व्यक्ति की तस्वीर लगा सकते हैं, मगर फिल्म स्टार या बेहूदी फोटो न लगाएँ।
==कलर : आपके बच्चों के स्डडी रूम में लेमन यलो और वॉयलेट कलर मेमरी और कॉनसन्ट्रेशन बढ़ाने में मददगार होते हैं। आपके बच्चों के स्डडी रूम की दीवारों और टेबल-कुर्सी के लिए इन रंगों का इस्तेमाल अच्छा रहेगा।
==वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार कमरे का और स्टडी टेबल का रंग राशि के अनुसार हो। मेष और वृश्चिक सफेद व पिंक का प्रयोग करें। वृषभ और तुला सफेद-ग्रीन का इस्तेमाल करें। मिथुन और कन्या ग्रीन, सिंह ब्ल्यू, कर्क रेड एवं व्हाइट, धनु-मीन पीले-सुनहरे और मकर-कुंभ ब्ल्यू के सारे शेड्स का प्रयोग करें।
विशेष :– वास्तुशास्त्री पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, (मोब.–.9669.9..67 (मध्य प्रदेश) एवं — . (राजस्थान)) के अनुसार स्टडी रूम में कभी भी गहरे रंग, काले रंग का प्रयोग न करें। पानी वाले शो पीस या पानी की तस्वीर जरूर लगाएँ।
कैसे व्यक्ति हो आप दो तरह की बाते बताते हो
1. टेबल को कभी दीवार से अलग न रखे नहीं तो एकाग्रता में बाधा आ सकती है।
2. आपके बच्चों के स्डडी रूम में स्टडी टेबल को दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए।