वास्तुसम्मत नहीं हें एक साथ/ लगातार / सीध में तीन दरवाजे होना —-
आजकल के व्यस्त शहरी जीवन और तड़क-भड़क की जिन्दगी में हम नियमों को ताक में रखकर मनमाने ढंग से घर या मकान का निर्माण कर लेते हैं। जब भारी लागत लगाने के बावजूद भी घर के सदस्यों का सुख चैन गायब हो जाता है, तब हमें यह आभास होता है कि मकान बनाते समय कहां पर चूक हुई है। अतः मकान बनाने से पहले ही हम यहां पर कुछ वास्तु टिप्स दे रहे हैं, जिनका अनुशरण करके आप अपने घर-मकान, दुकान या कारखाने में आने वाली बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं ।हमारे रहन सहन में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। कई बार हम सभी प्रकार की उपलब्धियों के बावजूद अपने रोजमर्रा की सामान्य जीवन शैली में दुखी और खिन्न रहते हैं। वास्तु दोष मूलतः हमारे रहन सहन की प्रणाली से उत्पन्न होता है। प्राचीन काल में वास्तु शास्त्री ही मकान की बुनियाद रखने से पहले आमंत्रित किए जाते थे और उनकी सलाह पर ही घर के मुख्य द्वार रसोईघर, शयन कक्ष, अध्ययन शाला और पूजा गृह आदि का निर्णय लिया जाता था।
आजकल स्थान के अभाव और प्लॉट की लंबाई को देखते हुए ऐसा मकान बनाना पड़ता है, जिसमें सभी कमरे एक ही सीध में रेल के डिब्बों की तरह होते हैं। अक्सर सरकारी क्वाटर भी इसी तरीके से बने होते हैं जिनमें रहना मजबूरी होती है। वास्तु में ऐसा मकान अशुभ व दोषपूर्ण माना जाता है।
किसी भी मकान में एक सीध में तीन द्वार होना बहुत दोषपूर्ण है, क्योंकि इन द्वारों में ऊर्जा बहुत तेजी से घुसकर उतनी ही तेजी से आखिरी द्वार से बाहर निकल जाती है। इसकी वजह से आखिरी कमरे में रहने वाले लोग बुरी तरह प्रभावित होते हैं। जिस मकान में, जहां कहीं भी तीन या इससे अधिक दरवाजे एक सीध में हो या गली की सीध में हो तो उसके बीच बैठकर नहीं पढ़ऩा चाहिए..
यदि आपके मकान में तीन दरवाजे एक सीध में हैं, तो यह स्थिति वास्तु के अनुसार शुभ नहीं है। क्योंकि इससे सकारात्मक उर्जा शीघ्र ही आपके भवन से बाहर से निकल जायेंगी। जिसके परिणामस्वरूप परिवार में धन व ऐश्वर्य की स्थिरिता नहीं रह पाती है।
घर में बच्चों की पढ़ाई में भी अड़चने बनी रहती है।उत्तर-पश्चिम दिशा के बढ़े हुए भाग में बच्चे को कभी अध्ययन न करने दें. यहां अध्ययन करने से बच्चे के मन में घर से भागने की इच्छा पैदा हो सकती है. पढ़ाई हो या दफ्तर पीठ के पीछे खिड़की शुभ नहीं होती. इससे पढ़ाई/नौकरी छूट जाती है. पीठ व कंधे पर रोशनी या हवा का आना अशुभता को ही दर्शाता है.
उपाय—-
—- प्रवेश द्वार के बाद दूसरे द्वार पर एक झरोखा, अलंकारिक फर्नीचर जैसा बना दें। .: पीछे का अन्तिम दरवाजा अधिकतर बन्द रखें।—–इस दोष से छुटकारा पाने के लिए बीच वाले द्वार की जगह बदल देनी चाहिए। आप चाहें तो उसे बंद रख सकते हैं या उसे पाटकर दीवार की दूसरी साइड से दरवाजा निकाल सकते हैं।
किसी मकान में एक सीध में तीन दरवाजे होना जानलेवा फेंगशुई दोष है। क्योंकि इन दरवाजों से होकर ऊर्जा ‘ची’ बहुत तेजी से गुजरती है और अन्त में इस दोष के कारण मकान के आखिरी कमरे में रहने वाले व्यक्ति इससे बुरी तरह प्रभावित होते हैं, इससे छुटकारा पाने का एक सरल उपाय है कि बीच वाले दरवाजे को एक ओर खिसका दें।
इन उपायों को कर के आप अपने घर से वास्तु दोष खत्म कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख समृद्धि ला सकते हैं। वास्तुशास्त्र पर आधारित ये टिप्स आपके लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।
इति शुभम भवतु..!!!!
आप का अपना ——-पंडित दयानन्द शास्त्री”विशाल”..—-…