जानिए वास्तु अनुसार अग्नि कोण में सोने पर / शयन कक्ष के प्रभाव(लाभ-हानि) एवं उपाय—–
आज के इस महंगाई के युग में सामर्थ्यवान लोग भी समयाभाव और अज्ञानतावश वास्तु सम्मत भवन नहीं बना पाते | अगर एक बार भवन किसी तरह बना लिया तो उसे तुडवा कर दुबारा बनवा पाना संभव नहीं हो पाता | फिर बन चुके भवन में ही वास्तु दोष को किस तरह दूर किया जाय |
आजकल पति-पत्नी और सास-बहू के झगड़े, तलाक की बातें, ससुराल छोड़कर मायके में बस जाना, कोर्ट में केस कर देना आम समस्या बनती जा रही है।वास्तु दोष की वजह से इस तरह की समस्या शुरू होती है लेकिन शुरुआत से ही छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप खुशहाल जीवन जी सकते हैं।पति-पत्नी में आपस में वैमनस्यता का एक कारण सही दिशा में शयनकक्ष का न होना भी है।
अगर दक्षिण-पश्चिम दिशाओं में स्थित कोने में बने कमरों में आपकी आवास व्यवस्था नहीं है तो प्रेम संबंध अच्छे के बजाए, कटुता भरे हो जाते हैं।
वास्तु की दिशाओं में पूर्व तथा दक्षिण दिशा के संधि-स्थल को आग्नेय कोण कहा जाता है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि आग्नेय का अर्थ ही अग्नि होता है। आग्नेय के कमरे में अग्नि-तत्व अत्याधिक मात्रा में प्रवाहित होता है, जिसके दुष्परिणाम पुरुष वर्ग के जीवन को प्रभावित करते है, जिसके कारण पुरुष वर्ग के स्वास्थ्य एवं समृद्धि में विपरीत परिणाम पैदा होते हैं।
आग्नेय के कमरे को शयन-कक्ष के लिये उपयोग करने वाले पुरुष वर्ग को अग्नि-तत्व से संबंधित उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, हृदयघात इत्यादि बीमारियाँ पैदा होने की प्रबल संभावना एवं स्वभाव उत्तेजित प्रवृत्ति में परिवर्तित होने के साथ पति-पत्नी के आपस में वैचारिक मतभेद उत्पन्न होते हैं।
—–इस कोण में सोने वाले तेज-टर्रात होते हैं ,पति -पत्नी अगर इस कोण में सो जाएँ तो उनके बीच हमेशा लड़ाई -झगडा होते रहता है ,
—–कंही आपका बच्चा भी हुक्का पीने तो नहीं जाता है ……देखिये कंही आपने अपने बच्चे को अग्नि कोण में तो सुला नही रखा है ….? या तो वह सिगरेट पिता होगा या फिर उसमे तामसी प्रवति का प्रभाव होगा…
—–अगर आपका बच्चा अग्नि कोण में सो रहा है तो उसे तुरंत इशान कोण या पूर्व के कमरे में भेजें ,क्योंकि अग्नि कोण में सोने वाले लोग शुक्र के प्रभाव से रंगीन मिजाज के भी होते हैं
——अधिकतर भारतीय समाज में तलाक के जो केस आते हैं वहाँ पति पत्नी का शयन कक्ष आग्नेय कोण में मिलता है..
—अग्नि कोण में युवक व युवती अल्प समय के लिए शयन कर सकते हैं। अग्नि कोण अध्ययन व शोध के लिए शुभ है।
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार दक्षिण में शयन करने वाली स्त्री को पति के बायीं ओर अग्निकोण में शयन करने वाली स्त्री को दायीं ओर शयन करना चाहिए। गृहस्थ पत्नी को पति की बायीं ओर सोना चाहिए। परिवार की मुखिया सास या बड़ी बहू को पूर्व या ईशान कोण में शयन नहीं करना चाहिए। वृद्धावस्था में या अशक्त हो जाने की स्थिति में ईशान कोण में शयन किया जाता सकता है किंतु अग्निकोण में शयन नहीं करना चाहिए।
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार अग्निकोण में अग्नि कार्य से स्त्रियों की ऊर्जा का सही परिपाक हो जाता है। शयन कक्ष का बिस्तर अगर डबल बेड हो और उसमें गद्दे अलग-अलग हों तथा पति-पत्नि अलग-अलग गद्दे पर सोते हों तो उनके बीच तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है और आगे चलकर अलग हो सकते हैं।
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार एक तो आग्नेय कोण विवाद देता है दूसरा आग्नेय कोण जातक को रंगीन मिजाज बनाता है ,रंगीन मिजाज होने से शक कि सम्भावना को बढ़ा देता है..
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार लेकिन यही अग्नि कोण ,कलाकारों टीवी ,फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वालों को काम का अच्छा मौका भी देता है….
——अग्नि कोण के शयन कक्ष में लाल रंग का प्रयोग न करें…..
—–सामान्यतः अग्नि कोण के शयन कक्ष में सोने से ब्लड प्रेशर ,शुगर ,कोई न कोई आपरेशन ,छोटा मोटा एक्सीडेंट लगा रहता है
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार सामान्यतः अग्नि कोण के शयन कक्ष में सोने से बीडी ,सिगरेट या शराब की ओर लोग ज्यादा आकर्षित होते हैं
——अग्नि कोण से ज्यादा अच्छा शयन कक्ष वायव्य [उत्तर-पश्चिम] का है
——अगर अग्नि कोण में सोना है तो अग्नि कोण से हट कर अर्थात पूर्व की दीवाल से हट कर बिस्तर लगायें
—–शयन कक्ष के बाहर आँगन या बालकनी में अग्नि कोण में अधिक से अधिक पेड़ पौधे गमले में जरुर लगायें
——अग्नि कोण से आने वाले प्रकृति की अग्नि को पेड़ पौधे शांत करते हैं ,इससे आपको राहत मिलेगी
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार अग्नि कोण के स्वामी शुक्र यंत्र [प्राण प्रतिष्ठित किया हुवा ] की स्थापना अग्नि कोण में पूर्वी दीवाल में करें
—–अग्नि के तेज से बचने के लिए अग्नि कोण के शयन कक्ष को सफेद रंग से रंगे क्योंकि सफेद रंग मन को शांत करता है
—–अग्नि कोण के शयन कक्ष में दर्पण का प्रयोग न करें क्योंकि दर्पण अग्नि की तीव्रता को कई गुना और बढ़ा देगा ,अगर दर्पण लगाना ही है तो उसे ढककर रखें
—–इसके साथ ही साथ अगर मन अशांत रहता है या कोई न कोई डर बना रहता है तो ध्यान का अभ्यास करें
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार घर में कोई एक तत्व असंतुलित होता है तो उसके प्रभाव से जातक के अंदर स्थित तत्व भी असंतुलित हो जाता है ,ध्यान के अभ्यास से अंदर के पांचो तत्व संतुलन में आ जाता है परिणाम स्वरुप बाहय चीजों का प्रभाव जातक पर कम पड़ता है…..
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार आग्नेय कोण में शयन नहीं करें. ..इसके कारण लोगों को गुस्सा बहुत आता है…क्रोध जब अपनी चरमावस्था पर होता है, तो संबंध विच्छेद का कारण भी बन जाता है। चाहें वह संबंध पति-पत्नी का हो, पिता-पुत्र का है या साझेदार का हो। क्रोध सरस रिश्तों में कड़वाहट घोल देता है।यदि शयनकक्ष में बड़ा एवं छोटा भाई साथ साथ सोते है तो दोनों में विवाद संभव है.
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार वास्तु विषय से उत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिये बेहतर यही होगा कि आग्नेय के कमरे को रसोई-घर के लिये उपयोग करे। लेकिन और कोई विकल्प नहीं होने की स्थिति में, आग्नेय के कमरे के एक चौथाई पूर्वी हिस्से में दीवार बनाकर तथा बचे हुए तीन-चौथाई हिस्से के पूर्व-ईशान में दरवाजा एवं दोनो हिस्सो के दक्षिण-आग्नेय में खिड़कियाँ लगाकर, शयन-कक्ष के लिये उपयोग करे।
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार नव विवाहित दंपती का शयनकक्ष आग्नेय कोण में कदापि नहीं होना चाहिए। अग्नि कोण में शयन कक्ष होने से आपसी संबंधों में तनाव तथा तनातनी रहती है। यहां शयन करने से परस्पर विवाद काफी ज्यादा होता है।
——इस परिवर्तन के साथ पति-पत्नी दोनों, उत्तम गुणवत्ता की प्राकृतिक स्फटिक की माला, चांदी में बनाकर पहनने से अग्नि-तत्व के दुष्परिणामों में न्यूनता आयेगी।
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार वास्तु की दिशाओं में पूर्व तथा दक्षिण दिशा के संधि-स्थल को आग्नेय कोण कहा जाता है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि आग्नेय का अर्थ ही अग्नि होता है। आग्नेय के कमरे में अग्नि-तत्व अत्याधिक मात्रा में प्रवाहित होता है, जिसके दुष्परिणाम पुरुष वर्ग के जीवन को प्रभावित करते है, जिसके कारण पुरुष वर्ग के स्वास्थ्य एवं समृद्धि में विपरीत परिणाम पैदा होते हैं।
———-पंडित दयानन्द शास्त्री—.(मोब.–.) के अनुसार आग्नेय के कमरे को शयन-कक्ष के लिये उपयोग करने वाले पुरुष वर्ग को अग्नि-तत्व से संबंधित उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, हृदयघात इत्यादि बीमारियाँ पैदा होने की प्रबल संभावना एवं स्वभाव उत्तेजित प्रवृत्ति में परिवर्तित होने के साथ पति-पत्नी के आपस में वैचारिक मतभेद उत्पन्न होते हैं।
—इन उपायों से होगा लाभ—–
——-वास्तु विषय से उत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिये बेहतर यही होगा कि आग्नेय के कमरे को रसोई-घर के लिये उपयोग करे। लेकिन और कोई विकल्प नहीं होने की स्थिति में, आग्नेय के कमरे के एक चौथाई पूर्वी हिस्से में दीवार बनाकर तथा बचे हुए तीन-चौथाई हिस्से के पूर्व-ईशान में दरवाजा एवं दोनो हिस्सो के दक्षिण-आग्नेय में खिड़कियाँ लगाकर, शयन-कक्ष के लिये उपयोग करे।इस परिवर्तन के साथ पति-पत्नी दोनों, उत्तम गुणवत्ता की प्राकृतिक स्फटिक की माला, चांदी में बनाकर पहनने से अग्नि-तत्व के दुष्परिणामों में न्यूनता आयेगी।
—–शयनकक्ष के मुख्य द्वार के सामने में पलंग नहीं रहना चाहिए।
—–शयनकक्ष का टूटा-फूटा फर्श एवं ढलान भी पति-पत्नी के विवाद के कारण बनते हैं।
——पलंग के सामने में मुंह देखने वाले शीशे नहीं होने चाहिए। पलंग के सामने टीवी भी नहीं होने चाहिए।
——पलंग पर गद्दे डबल न हों। सिंगल गद्दा हो। पलंग के नीचे बॉक्स नहीं होना स्थानाभाव से बनाना ही पड़े तो बॉक्स में गिफ्ट पैक लोहे का सामान, बर्तन इत्यादि फालतू सामान नहीं रखें।
——मन मोहक पोस्टर्स लगाएं।
——बेडरूम में फर्नीचर बनाते समय ध्यान रखें। ज्यादा से ज्यादा जगह खाली रखें। पूरा कमरा फर्नीचर से न भर जाए।
——कमरे का रंग कराते समय पति-पत्नी के जन्म तारीख के हिसाब से कलर का चयन करें।
—–रात में सोते समय बेडरूम के ईशान कोण में पानी का जार जरूर रखें।
—–कमरे की फर्श को पत्थर के नमक से साफ करना चाहिए।
—–ताजे फूलों का गुलदस्ता शयनकक्ष में रखना चाहिए। शयनकक्ष के मुख्य द्वार पर्दे का व्यवहार जरूर करें।
——शयनकक्ष में अटैच बाथरूम है तो उसके दरवाजे हमेशा बंद रखें।
——मास्टर बेडरूम की फ्लोरिंग वुडन को होनी चाहिए।
—–इलेक्ट्रिक पॉइन्ट पलंग से .-से-5 फीट की दूरी पर होना चाहिए।
—–रूम की लंबाई चौड़ाई से आय निकाल लेना चाहिए।
—–शयनकक्ष में पूजा घर न बनाएं। सुबह-शाम कपूर जलाना चाहिए।
——फेंगसुई के अनुसार शयनकक्ष के द्वार के सामने राइट साइड में पति=पत्नी का जोड़े वाली तस्वीर लगाए तथा लड़की के शयनकक्ष में द्वार के सामने वाली दिवार पर पियोनिया का फूल का चित्र लगाए
Тhanks in favor of ѕharing such a faѕtidious
οpinion, piеce of writing is fаstіdiouѕ, thats
why i have rеad it completely
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