हम जिस स्थान पर रहते हैं, उसे वास्तु कहते हैं। इसलिए जिस जगह रहते हैं, उस मकान में कौन-सा दोष है, जिसके कारण हम दुःख-तकलीफ उठाते हैं, इसे स्वयं नहीं जान सकते। हमें यह भी पता नहीं रहता कि उस घर में नकारात्मक ऊर्जा है या सकारात्मक। किस स्थान पर क्या दोष है, लेकिन यहाँ पर कुछ सटीक वास्तुदोष निवारण के उपाय दिये जा रहे हैं, जिसके प्रयोग से हम आप सभी लाभान्वित होंगे।
ईशान अर्थात ई-ईश्वर, शान-स्थान। इस स्थान पर भगवान का मंदिर होना चाहिए एवं इस कोण में जल भी होना चाहिए। यदि इस दिशा में रसोई घर हो या गैस की टंकी रखी हो तो वास्तुदोष होगा। अतः इसे तुरंत हटाकर पूजा स्थान बनाना चाहिए या फिर इस स्थान पर जल रखना चाहिए। पूर्व दिशा में बाथरूम शुभ रहता है। खाना बनाने वाला स्थान सदैव पूर्व अग्निकोण में होना चाहिए। भोजन करते वक्त दक्षिण में मुँह करके नहीं बैठना चाहिए।
शयन कक्ष प्रमुख व्यक्तियों का नैऋत्य कोण में होना चाहिए। बच्चों को वायण्य कोण में रखना चाहिए। शयनकक्ष में सोते समय सिर उत्तर में, पैर दक्षिण में कभी न करें। अग्निकोण में सोने से पति-पत्नी में वैमनस्यता रहकर व्यर्थ धन व्यय होता है। ईशान में सोने से बीमारी होती है। पश्चिम दिशा की ओर पैर रखकर सोने से आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। उत्तर की ओर पैर रखकर सोने से धन की वृद्धि होती है एवं उम्र बढ़ती है।
हम जिस स्थान पर रहते हैं, उसे वास्तु कहते हैं। इसलिए जिस जगह रहते हैं, उस मकान में कौन-सा दोष है, जिसके कारण हम दुःख-तकलीफ उठाते हैं, इसे स्वयं नहीं जान सकते। हमें यह भी पता नहीं रहता कि उस घर में नकारात्मक ऊर्जा है या सकारात्मक।
बेडरूम में टेबल गोल होना चाहिए। बीम के नीचे व कालम के सामने नहीं सोना चाहिए। बच्चों के बेडरूम में काँच नहीं लगाना चाहिए। मिट्टी और धातु की वस्तुएँ अधिक होना चाहिए। ट्यूबलाइट की जगह लैम्प होना चाहिए।