वस्त्तुशास्त्र में भवन बनाना, एक विज्ञान और कला दोनों का समावेश है वास्तुशास्त्र पूर्णरूप से एक ऐसा विज्ञान है जिसे आधुनिक समय में अब लोगों ने मान्यता दी है गृह स्वामी को उस भवन को किस दिन महूर्त करना चाहिए, किस दिन उसे गृह प्रवेश करना चाहिए, गृह स्वामी को वह भवन कितना आर्थिक उन्नति देगा इत्यादि यह सब वास्तुशास्त्र गृह स्वामी को बताता है
अच्छी नींद अच्छे स्वास्थ्य की नींव होती है। लेकिन यह नींव तभी मजबूत हो सकती है जब हमारा शयन कक्ष स्वच्छ व हवादार हो। वास्तुशास्त्र में ऐसे अनेक उपाय हैं, जिन्हें उपयोग में लाकर आप अपने इस कक्ष की पॉजीटिव एनर्जी बढ़ा सकते हैं।
भवन में रसोई, स्नान गृह, स्त्रियों का कमरा, अध्धयन कक्ष, आंगुतक कक्ष और सबसे महत्वपूर्ण शयन कक्ष कहाँ होना चाहिए इन सब की स्थिति भवन में कहाँ और किस दिशा में हो इन सब का वर्णन करता है शयन कक्ष विश्राम करने का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है वास्तुशास्त्र में शयन कक्ष का सम्यक विचार किया गया है यदि गृह स्वामी भवन निर्माण करते समय शयन कक्ष को वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार शयन कक्ष का निर्माण करवाए तो निद्रा के अतिरिक्त उसे अनेक प्रकार व्याधियों से छुटकारा अपने आप प्राप्त हो जाता है
शयन कक्ष में पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोना चाहिए। पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोने से विद्या प्राप्त होती है तथा दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है। उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से आयु कम होती है तथा शरीर रोगी हो जाता है।
शयन कक्ष में देवी-देवताओं, पूर्वजों, हिंसक पशु-पक्षियों और रामायण-महाभारत के युद्ध-चित्र नहीं लगाने चाहिए क्योंकि इससे मन में नकारात्मक भाव व भय उत्पन्न होता है। कक्ष की दक्षिण-पश्चिम दिशा में सुंदर व मनोरम दिखाई देनेवाले चित्रों को लगाया जा सकता है।
वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा को यम की दिशा कहा गया है दक्षिन दिशा का स्वामी “यम” है यानि मृत्यु का देवता, इसलिए प्राचीन काल में श्मशान ग्राम/नगर के दक्षिण में स्थित होती थी उतर दिशा धन के देवता (कोषाध्यक्ष) कुबेर की है इसीलिए वास्तुशास्त्र में व्यक्ति के लिए दक्षिण दिशा में सिर और उतर दिशा में पाँव इस प्रकार के निर्देश हैं परन्तु ऐसा क्यों यहाँ यह जानना आवश्यक है हमारी पृथ्वी के दो ध्रुव हैं १. उतरी ध्रुव २. दक्षिणी ध्रुव दोनों चुंबकीय सिद्धांतों पर कार्य करते हैं और हमारा शरीर भी इसी सिद्धांत पर इस तरह मनुष्य का सिर उतरी ध्रुव है और पैर दक्षिणी ध्रुव इसलिए यदि जब हम अपने सिर को उतर की और पैर दक्षिण की और कर के सोएगें तो चुंबकीय तरंगे विपरीत दिशा में कार्य करेंगी और हमे कभी भी अच्छी नींद नहीं आएगी और प्रातकाल तनावपूर्ण वातावरण में जागेंगे और शरीर में थकन होगी पश्चिम में सिर कर के सोने से मनुष्य को कई प्रकार रोगों से ग्रस्त होना पड़ता है, उतर की और सिर कर के सोने से मनुष्य को व्यर्थ के स्वप्न तथा नींद नहीं आती है इसलिए अपने शयन कक्ष में आप सदैव अपना सिर दक्षिण की और या पूर्व की और कर के सोएं तो आपके जीवन में मंगल ही मंगल होगा
क्यों रखें पश्चिम दिशा में शयनकक्ष—–
बैडरूम कई प्रकार के होते हैं। एक कमरा होता है- गृह स्वामी के सोने का एक कमरा होता है परिवार के दूसरे सदस्यों के सोने का। लेकिन जिस कमरे में गृह स्वामी सोता है, वह मुख्य कक्ष होता है।
अतः यह सुनिश्चित करें कि गृह स्वामी का मुख्य कक्ष; शयन कक्ष, भवन में दक्षिण या पश्चिम दिशा में स्थित हो। सोते समय गृह स्वामी का सिर दक्षिण में और पैर उत्तर दिशा की ओर होने चाहिए।
इसके पीछे एक वैज्ञानिक धारणा भी है। पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव और सिर के रूप में मनुष्य का उत्तरी ध्रुव और मनुष्य के पैरों का दक्षिणी ध्रुव भी ऊर्जा की दूसरी धारा सूर्य करता है। इस तरह चुम्बकीय तरंगों के प्रवेश में बाधा उत्पन्न नहीं होती है। सोने वाले को गहरी नींद आती है। उसका स्वास्थ्य ठीक रहता है। घर के दूसरे लोग भी स्वस्थ रहते हैं। घर में अनावश्यक विवाद नहीं होते हैं।
यदि सिरहाना दक्षिण दिशा में रखना संभव न हो, तो पश्चिम दिशा में रखा जा सकता है। स्टडी; अध्ययन कक्ष वास्तु शास्त्र के अनुसार आपका स्टडी रूम वायव्य, नैऋत्य कोण और पश्चिम दिशा के मध्य होना उत्तम माना गया है।
ईशान कोण में पूर्व दिशा में पूजा स्थल के साथ अध्ययन कक्ष शामिल करें, अत्यंत प्रभावकारी सिद्ध होगा। आपकी बुद्धि का विकास होता है। कोई भी बात जल्दी आपके मस्तिष्क में फिट हो सकती है। मस्तिष्क पर अनावश्यक दबाव नहीं रहता।
निम्न बातों का जरुर रखे धयन/ख्याल—-
जहां तक हो सके शयन कक्ष में टी.वी., कंप्यूटर जसे इलैक्ट्रानिक गजेट्स नहीं रखने चाहिए। अगर मजबूरी में रखना हो तो कमरे के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में ही रखें। काम न होने की स्थिति में उनकी स्क्रीन को कपड़े से ढक कर रखें। इसी तरह ड्रेसिंग टेबल के शीशे को भी ढक कर रखें।
शयन कक्ष में बीम या टांड के नीचे नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे दिमाग में भारीपन व तनाव उत्पन्न होता है।
सोते समय पैर द्वार की तरफ न हों क्योंकि इस स्थिति में पैर मृतक के रखे जाते हैं।
घर में पालतू जानवर हैं तो इन्हें वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में रखना चाहिए।
रुपये-पैसे और सोने-चांदी के जेवरों की तिजोरी को भी इस कक्ष में रखने से बचना चाहिए। अगर रखना पड़ जाए तो तिजोरी कमरे की दक्षिण दिशा में इस तरह रखें कि से खोलते समय उसका मुंह उत्तर दिशा की ओर हो। यह दिशा कुबेर की होती है और ऐसा करने से तिजोरी के धन में वृद्धि होती रहती है।