तो जरा रुकिए—–
प्लॉट लेकर घर बनाना हरेक का स्वप्न होता है। यदि प्लॉट लेते समय वास्तु के नियमों का पालन न किया गया, तो वास्तु के अनुरूप घर बनाने के बाद भी परेशानी आ सकती है।
प्लॉट कब शुभ होता है—
.. पूर्व व आग्नेय दिशा ऊँची और पश्चिम व वायव्य नीची या दक्षिण व आग्नेय ऊँची तथा पश्चिम व उत्तर नीची हो, बीच में ऊँची और बाकी दिशाएँ नीची हों।
.. पश्चिम दिशा ऊँची और ईशान व पूर्व नीची हों या आग्नेय दिशा ऊँची और नैऋत्य व उत्तर दिशा में उतार हो।
.. उत्तर दिशा ऊँची और आग्नेय, नैऋत्य व वायव्य दिशा नीची हों या नैऋत्य व आग्नेय ऊँची तथा उत्तर दिशा नीची हो।
4. आयताकार या वर्गाकार प्लाट शुभ होता है।
5 पूर्व-पश्चिम लंबाई कम व दक्षिणोत्तर लंबाई अधिक होना चाहिए।
6. गोमुखाकार और लंबे गोलाकार प्लॉट अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
.. जब ईशान का कोना कटा हुआ हो।
.. दो बड़े प्लॉट के बीच फँसा छोटा प्लॉट हो।
.. यदि प्लॉट का मुख (घर का द्वार) पूर्व-आग्नेय, नैऋत्य या वायव्य में हो।
4. प्लॉट में पथरीली जमीन या बड़े-बड़े गड्ढे हों।
5. यदि ईशान कोण गोलाई में आता हो।
6. दक्षिण में उतार हो, उत्तर ऊँचा हो।
7. यदि पड़ोस के प्लॉट में उतार हो (ढलान हो)
8. उत्तर-पूर्व ऊँची और पश्चिम में ढलान हो तो प्लॉट खरीदना अशुभ फल देता है।