वास्तु अनुसार केसा हो आपका विजिटिंग कार्ड —–
विजिटिंग कार्ड के लिये वास्तुशास्त्र के नियम :—–
मित्र, आज हम जानेंगे आपकी पहचान को बताने वाले आपके विजिटिंग कार्ड के बारे मे …क्या आपकाविजिटिंगकार्ड भी आपके व्यापार को , आपकी उन्नति को प्रभावित करते है ? जी हाँ , आइये जानते है की आपकी पहचान बताने वाले आपका विसिटिंग कार्ड किस तरफ से आपकी उन्नति को प्रभावित करता है ….
मित्रो, आज की दूर संचार क्रान्ति में एक दुसरे से जान-पहचान तो है, परन्तु यह याद रख पाना कठिन है कि किससे कब और किस जगह मुलाकात हुयी थी। आज सम्पर्क को स्थायित्व एंव गतिशील बनाने के लिए विजिटिंग कार्ड का दौर चल रहा है।ऐसे में आपको यह सुनिश्चित करना है कि आपका विजिटिंग कार्ड कैसा हो? वास्तु के अनुसार यदि विजिटिंग कार्ड बनाया जाये तो, सम्पर्क और व्यवासय दोनों में प्रगतिशीलता कायम रहेगी।
आइये आगे बढने से पहले यह समझ लेते है कि अपने विजिटिंग कार्ड को आप वास्तु की दिशाओं से कैसे जोड़ेंगे। आप अपने विजिटंग कार्ड को अपने सामने रखें, ऊपर की ओर पूर्व दिशा होगी, नीचे पश्चिम, दाएं दक्षिण और बाएं उत्तर।
वर्तमान समय में जगत का विकास और प्रगति व्यवसायिक द्रष्टि बिंदु को आभारी है. व्यवसायिक क्षेत्र के विकास के लिये विजिटिंग कार्ड सब से महत्व का संपर्कसूत्र है. हर व्यक्ति या संस्था खुद की एक अलग पहेचान स्थापित करना चाहता है. और यह अलग पहेचान को सामनेवाली व्यक्ति के मानस पर असरकारक रुप से प्रभावित करने का श्रेष्ठ कार्य विजिटिंग कार्ड करता है.
वास्तु शास्त्र में आपके रहने बसने की सुविधा के साथ साथ भवन में रखे जाने वाले आधुनिक यंत्र तथा व्यापार को प्रभावित करने वाले सभी साधनों का विशेष महत्व है.
आधुनिक समय में व्यापार में विजिटिंग कार्डों का प्रचलन महत्वपूर्ण बन गया है। फलस्वरूप आधुनिक व्यापार विजिटिंग कार्डों के माध्यम से ही प्रभावित होने लगा है। इसीलिए यह आवश्यक है कि व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए हमारा विजिटिंग कार्ड वास्तु के नियमानुकूल हो जिस से हमें सकारात्मक उर्जा प्राप्त हो सके ।
यदि आपका विजिटिंग कार्ड वास्तु अनुकूल रंग एवं आकर्षित बना हुआ है तो निश्चय ही आपके व्यापार को बढावा मिलेगा.इसके विपरीत आकर्षण विहीन विजिटिंग कार्ड जो वास्तु के नियम विपरीत बना हुआ है धीरे धीरे निश्चय ही आप के व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव देगा तथा आपको व्यापार में असफलता का सामना करना पड़ेगा अतः यह नितांत आवश्यक है कि विजिटिंग कार्ड बनवाने से पहले वास्तु अनुसार उसमें अनुकूल रंग एवं डिजाईन कि जांच कर ली जाए।
विजिटिंग कार्ड का आकार समकोण होना चाहिए। विषम कोण वाला विजिटिंग कार्ड सम्पर्क को अस्थायी एंव विवादग्रस्त बना सकता है और शीघ्र ही आपके सम्बन्ध टूट जायेंगे।विजिटिंग कार्ड में किस दिशा में क्या लिखवाया जाये, यह अधिक महत्वपूर्ण है। कार्ड के मध्य में ब्रहम स्थान से उपर आप-अपना नाम लिखा सकते हैं। मोबाइल नम्बर आग्नेय कोण यानि दक्षिण-पूर्व के कोने पर अकिंत करें। अपने व्यवसाय व संस्थान का नाम व पूरा पता दक्षिण-पश्चिम के कोण यानि नैरित्य कोण पर लिखवाना चाहिए । क्योंकि नैऋत्य कोण स्थिरता व व्यापकता का प्रतीक माना जाता है।कार्ड के रंगों का चयन अपनी जन्मपत्री के अनुसार करना चाहिए।
ट्रेडमार्क, मोनोग्राम, स्वास्तिक, कलश और गणपति आदि के लिए कार्ड का ईशान कोण अधिक शुभ माना जाता है। एक अच्छे विजिटिंग कार्ड के लिए कार्ड का मध्य क्षेत्र, जिसे वास्तु में ब्रहम स्थान कहा जाता है। उसे खाली रखना चाहिए। यह ध्यान रखे की एक सुन्दर और वास्तु के अनुसार डिजाईन किया हुआ विजिटिंग कार्ड आपके संपर्कों में मधुरता एंव व्यक्तित्व में चुम्बकीय आकर्षण पैदा करता है।
विजिटिंग कार्ड में किस दिशा में क्या लिखवाया जाये, यह अधिक महत्वपूर्ण है। कार्ड के मध्य में ब्रहम स्थान से उपर आप-अपना नाम लिखा सकते हैं। मोबाइल नम्बर आग्नेय कोण यानि दक्षिण-पूर्व के कोने पर अकिंत करें। अपने व्यवसाय व संस्थान का नाम व पूरा पता दक्षिण-पूर्व के कोण पर डालें। क्योंकि नैऋत्य कोण स्थिरता व व्यापकता का प्रतीक माना जाता है।
कार्ड के रंगों का चयन अपनी जन्मपत्री के अनुसार करना चाहिए। ट्रेडमार्क, मोनोग्राम, स्वास्तिक, कलश और गणपति आदि के लिए कार्ड का ईशान कोण अधिक शुभ माना जाता है। एक अच्छे विजिटिंग कार्ड के लिए कार्ड का मध्य क्षेत्र, जिसे वास्तु में ब्रहम स्थान कहा जाता है। उसे खाली रखना चाहिए। एक सुन्दर विजिटिंग कार्ड आपके संपर्कों में मधुरता एंव व्यक्तित्व में चुम्बकीय आकर्षण पैदा करता है।
वास्तु अनुसार विजिटिंग कार्ड इस प्रकार हो—-
—–आप का विजिटिंग कार्ड सुंदर एवं आकर्षक होना चाहिए इसके साथ साथ उसका चौरस होना तथा कटा-फटा ना होना भी अत्यन्त आवश्यक है।
——आप का कार्ड झुर्र्यिओं व सलवटों से रहित हो तथा उसके बीच का स्थान खली(रिक्त) होना चाहिए जिससे कि अनुकूल सकारात्मक उष्मा आप के व्यापार को मिलती रहे।
——- विजिटिंग कार्ड कि अनुकूलता के लिए उसके उत्तरी पूर्वी (ईशान) कोने पर अपने धरम अनुसार धार्मिक चिन्ह या राष्ट्रीय चिन्ह अंकित करना वास्तु नियमों के अंतर्गत माना गया है। जो हमें अच्छी सफलता प्रदान करता है।
——जहाँ तक फोन नुम्बरों का सवाल है जिससे हमारे व्यापारिक संपर्क बनते हैं उत्तर पश्चिम (व्यावय ) दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में वायु का प्रभाव अति तीव्र होने के कारण हमारे व्यापार में हमें अनुकूल प्रभाव मिलेंगे।
——विजिटिंग कार्ड का चुनाव करते समय यह आवश्यक है कि वह हलकी क्वालिटी का न हो ,पीले ,लाल व हरे रंग का विजिटिंग कार्ड वास्तु नियमों के अंतर्गत माना गया है।
——-जहाँ तक आपका नाम व पता लिखने कि बात है उसे दक्षिण पश्चिम वाले कोने से लिखना अच्छा व वास्तु अनुकूल माना गया है।
———अनुसार कार्ड के रंग का चुनाव कर सकते हैं .इसके साथ साथ कार्ड का आकर्षित होना तथा सुंदर लिखा जाना भी आवश्यक है।
——आप का कार्ड झुर्र्यिओं व सलवटों से रहित हो तथा उसके बीच का स्थान खली(रिक्त) होना चाहिए जिससे कि अनुकूल सकारात्मक उष्मा आप के व्यापार को मिलती रहे।
——- विजिटिंग कार्ड कि अनुकूलता के लिए उसके उत्तरी पूर्वी (ईशान) कोने पर अपने धरम अनुसार धार्मिक चिन्ह या राष्ट्रीय चिन्ह अंकित करना वास्तु नियमों के अंतर्गत माना गया है। जो हमें अच्छी सफलता प्रदान करता है।
——जहाँ तक फोन नुम्बरों का सवाल है जिससे हमारे व्यापारिक संपर्क बनते हैं उत्तर पश्चिम (व्यावय ) दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में वायु का प्रभाव अति तीव्र होने के कारण हमारे व्यापार में हमें अनुकूल प्रभाव मिलेंगे।
——विजिटिंग कार्ड का चुनाव करते समय यह आवश्यक है कि वह हलकी क्वालिटी का न हो ,पीले ,लाल व हरे रंग का विजिटिंग कार्ड वास्तु नियमों के अंतर्गत माना गया है।
——-जहाँ तक आपका नाम व पता लिखने कि बात है उसे दक्षिण पश्चिम वाले कोने से लिखना अच्छा व वास्तु अनुकूल माना गया है।
———अनुसार कार्ड के रंग का चुनाव कर सकते हैं .इसके साथ साथ कार्ड का आकर्षित होना तथा सुंदर लिखा जाना भी आवश्यक है।
अत: वास्तुशास्त्र के नियम से विजिटिंग कार्ड को अलग अलग रुप से तैयार कीया जा सकता है. जैसे…
…–जन्म के चन्द्र की राशि के रंग के अनुरुप
…– अंकशास्त्र के अनुरुप
…—जन्मकुंडली के प्रबल ग्रहो के रंग के अनुरुप
.4.—जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति के अनुरुप
.5.जन्मकुंडली के कर्मस्थान और भाग्यस्थान की स्थिति के अनुरुप
.6.— नक्षत्र स्वामी के अनुरुप
.7.व्यक्ति या संस्था के प्रोफ़ेशन ( व्यवसाय ) के अनुरुप विजिटिंग कार्ड की रचना की जा सकती है.
…– अंकशास्त्र के अनुरुप
…—जन्मकुंडली के प्रबल ग्रहो के रंग के अनुरुप
.4.—जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति के अनुरुप
.5.जन्मकुंडली के कर्मस्थान और भाग्यस्थान की स्थिति के अनुरुप
.6.— नक्षत्र स्वामी के अनुरुप
.7.व्यक्ति या संस्था के प्रोफ़ेशन ( व्यवसाय ) के अनुरुप विजिटिंग कार्ड की रचना की जा सकती है.
जानिए की आपके व्यवसाय अनुसार केसा हो आपके विजिटिंग कार्ड का रंग/कलर—-
व्यवसाय |
रंग |
एजेंट |
गेहरा हरा, एक से ज्यादा रंगो का मिश्रण |
ज्योतिष – वास्तु के जानकर |
हरा, आसमानी |
कंप्यूटर का काम करने वाले |
हल्का आसमानी, हरा, नारंगी |
डोक्टर |
सफ़ेद, हरा, गुलाबी, पीला, आईवरी |
वकील |
सफ़ेद, काला, पीला, आईवरी, आसमानी |
व्यापारी पेढी |
हरा, नीला |
बेंक-शेयर बाजार के लोग |
सफ़ेद, आसमानी, हरा, पीला |
ब्युटी पार्लर |
गेहरा रंग |
बिल्डर-कोन्ट्राक्टर |
सफ़ेद, हरा |
चार्टड एकाउन्टन्ट |
हल्का आसमानी, नीला, हरा |
ओफ़िस |
हल्का हरा, हल्का आसमानी, गुलाबी, आईवरी |
ईलेक्ट्रिक-ईलेक्ट्रोनीक्स |
सफ़ेद, पीला, लाल, गुलाबी, आसमानी |
बच्चो की वस्तुए |
गुलाबी, हल्का आसमानी, नीला, जामूनी, सफ़ेद |
ज्वेलर्स |
पीले को छोडकर चमकीले न हो ऐसे गेहरे रंग-आसमानी, कथ्थाई, लाल |
केमीस्ट |
हल्का आसमानी, गुलाबी |
रेडीमेईड स्टोर्स |
चमकीले रंग, आसमानी, सफ़ेद, हरा |
रेस्टोरन्ट-लोज |
पारदर्शक, केसरीया, नारंगी, हरा |
फ़ूटवेर |
श्याम, भूरा, लाल, सफ़ेद |
फ़र्नीचर-डेकोरेशन |
सफ़ेद, पिस्ता, क्रिम, आसमानी, नीला |
फ़लो की दुकान |
सफ़ेद, हरा, पीला, हल्के रंग |
ओटोमोबाईल्स-स्पेरपार्ट्स-मीकेनीक |
आसमानी, कोफ़ी, जामूनी, गेहरा नीला |
शिक्षा विभाग |
केसरीया, पीला, सफ़ेद, आईवरी, आसमानी, हरा, पिस्ता |
कांच की वस्तुए |
पारदर्शक, सिल्वर, गेहरा आसमानी |
स्टेशनरी |
हरा, आसमानी, पीला |
प्रिन्टींग प्रेस |
हल्का हरा, हल्का आसमानी, गुलाबी, सफ़ेद |